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________________ महावीर परिचय और पानी दावामुनि है ( नाथा है। ऐ ૬ર प में विधि और विषेष एक द्वारा कबजा सा । ' ) पाना पदमा और एक बाप है कि पट उमरा या महान यह भागा = है। शायद पहा अनिवषय | अनिष्टी नीट दिया है कि उम जागा है है माम है मो नाम भी है जार है और अनिदगाव है और हनी ओर हा का है और अनिवचनीय है। महावीर का यह मारमा सात पा नोटरामन दा जागा मननगीमा दृटिया नदया जा सक्ता है। जा एक पा दावा करता है या अत्या दावा करता है । चूंकि महावारी बारी साप अनुपानी कम हुए। उसने बस्ता यही यारों हैं पढेमा भा व्याख्या हा हा सती । पटे म जीएनएमा अस्तित्व है जो शाही अन्याय नि ऐसा भी यह राय अराध्य है । उ लिए यह दाया पायाश हो जायगा | दुर्गा उहाँ महा-म्यान, जिस अपाय नहीं है। मह है-या महा स्थानमा अप है - ऐसा गरता है इस भी अभी होता है। दाना बाप जुहा हुई है। पूरा सत्य बाल जाएगा छ नगिया में बोल जायगा । जाता है अमित इतना जटयात गाताओं का वार्पित करना बहुत कठिन था । इर्मा महावार में अनुयायिया या सग्या व मी | महावार व जीवन्मजात उन प्रभावित हुए थे उन यो मति ही महावीर में पीछे की तरह चरना १' उक्त चार यचन व्यवहारों पर दागरिष भाषा में स्थात सन स्यात असन, स्यात सदरात और स्थात अवस्तस्य षहत है । सप्तभगो के म यही घार भगह । इन्होंने समान से सात भग होते है । अर्थात चतुम भग 'स्वात अववतथ्य' व साथ मग पर दूसरे और तीसरे भग को मिलाने से पांच एठा और सातवां भग घनता है।' क्लाच गास्त्री, जनघम (बागी) प०६७६८ । २ बोई-कोई विद्वान 'स्मात' गब्द का प्रयोग 'गायद' के अथ मे करते है । पितु गायव गद जनिश्चितता का सूचक है, जब कि स्थात व एक निश्चित अपे क्षायाद का सूचक है ।" जनघम, पु० ६६ । ''
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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