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________________ महावीर परिचय और वाणी २३ भाषा दुबध है। हम तनाव पसंद नहीं इसलिए मैं कहता हूँ कि भविष्य मी जो महावार को यह दगा मान्य न होगी वहेंगे, हम मरे जा रहे हैं वैस ही, हमारी सी के लिए महावीर की करत । तनाव वैम ही बहुत ज्यादा है। भाषा है वह बुद्ध पास है । पश्चिम वा तपश्चर्या करो | पश्चिमनामी किस अव हम पर कृपा करा, विश्राम दो । महावीर व पहने तस तीयकराव राम् काल में आत्मी प्रवृति व परम विश्राम में जा रहा था । उस जीवन म न बाई तनाव था, न वाई चिता थी । उस स्थिति म सक्त्प वा बढ़ाकर तनाव का पूर्ण करने की बात ही अपील कर भक्ती थी । ता वह चल पडी । फिर एक सत्रमण ' आया । उस मत्रमण मे महावीर बहुत प्रभावी न हा सरे । यहा त विजा लाग उनके पीछ गए व भी उनका मान न मके । वह नाम मात्र की यात्रा रही। नए लोग भी उस दिशा में जान यो राजी न हुए। राज राज मगठा श्रीग होता गया । यह सहा है कि आज मो इताम्बर जन मुनिया को सग्या वाफी है परंतु य जन मुनि महावीर से बहुत दूर है । इहात समझोत कर लिय है परंतु जिन्हाने समझात नहीं किए व दिगम्बर जनमुनि मुवि से बीस नाम बन रह हैं। पूर मुजम सरया जार भी कम होती जा रहा है । तीस पतीस वर्षो म य जायेंगे और तन देवम एक भी गिम्बर जन मुनि नहा रह जायगा । जा दिगम्बर - मुनि आज जीवित ह उनम में का भी नितिनहा है। चूकि एक अथ म ये पुरानी सदी के लोग हैं इसलिए राजी भी है। एक भी शिक्षित आम्मी को ठीक आधुनिक शिक्षा पाए हुए आदमी का दिगम्बर जन मुनि नही बनाया जा सका अब तक बन नही सकता। उत्तर का एक भी जन मुनि नहा है दिगम्बरा वे पास । जो है, अति हैं बिल्कुल कम ममश के लोग है ग्रामीण है। सत्र पचवन व स ऊपर उम्र व लोग है जा वीस पच्चीस वर्षा म विदा हो जायेंगे । दवताम्नर मुनि की सत्या बची है बढती हे क्या िवत्त के साथ वह भाषा का बना रहा है समय करता रहा है समझोत वा तरसोयें निकालना रहा है । पर वह गाड़ी में बैठन लगेगा परमा यह हवाइ जहाज म उडेगा । वह सब समझोते कर लेगा । वह समझौते करने ही बच रहा है । महावीर की साधना साथत्र हो, इसके लिए एक ही उपाय है कि उसे भविष्य की भाषा में पूरा का पूरा रस दिया प्राय । महावीर के ऊपर बहुत पुराना 'कवर' है जन उनपर नई जिल्द होनी चाहिए। महावीर का धारा का इतना अदभुत अथ है यह पा जायतानुसान होगा-पारी मानवजाति का अहित होगा । क्वर बदलन - १ गमन, भ्रमण । दे० म० मे० द०, प० ६२ । धीरे वीरे इनकी जैन मुनि भी मर
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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