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________________ २२ महावीर : परिचय और वाणी चाहिए, इसकी भी कोई आवश्यकता नहीं । अहकार - 'इगो' भी एक बोन के फिर भी महावीर ने जो व्यवस्था की उनमे मोक्ष पाने का सवाल है, ऐग मालूम पड़ता है कि उसमे एक उद्देश्य, एक लक्ष्य है। महावीर ने जो प्रतीक चुने हैं, उनकी वजह से ऐसा मालूम पडता है कि मोक्ष एक लक्ष्य है । उनके लिए साधना करो, तपस्या करो तो मोक्ष मिलेगा | बुद्ध ने कहा कि जब तक लक्ष्य की गापा है तब तक उच्छा हे, वासना है, तृष्णा है । लक्ष्य की बातें न करो। उनका मतलब हुआ कि अभी जियो, इसी क्षण में जियो-कल की बात मत करो । पुरानी दुनिया गरीब दुनिया की और गरीव दुनिया कभी भी वर्तमान मे—इम क्षण में नहीं जी सकती । गरीब दुनिया को हमेशा भविष्य मे जीना पडता है । लेकिन दुनिया बदल रही है, समृद्ध दुनिया पैदा हो रही है । अमरिका मे वन इस बुरी तरह बरस पडा है कि अब कल का कोई सवाल नही । बुद्ध की यह बात कि 'आज इसी क्षण जियो' सार्थक हो जायगी । गरीब दुनिया स्वर्ग बनाती है आगे । उस स्वर्ग मे ही तृप्तियाँ है । यहाँ तो मुख मिलता नही, इसलिए गरीब सोचता है कि मरने के बाद:- स्वर्ग मे - सुख मिलेगा । समृद्ध दुनिया आगे स्वर्ण नही बनाती। वह आज ही बना लेती है, इसी वक्त बना लेती है । हिन्दुस्तान का स्वर्ग भविष्य में होता है, अमरिका का स्वर्ग अभी और यही । इमी कारण हमे ईर्ष्या होती है, हम गालियां देते है, निन्दा करते हैं । उनका स्वर्ग अभी बना जा रहा है, हमारा मरने के बाद बनेगा । पक्का भरोसा नही कि वह बनेगा कि नही बनेगा । वुद्ध ने जो सदेश दिया वह तात्कालिक जीने का है, इमी क्षण जीने का है । महावीर का जो सदेश है, वह मन के संकल्प का है । संकल्प तनाव मे चलता है और इसकी प्रक्रिया तनाव की प्रक्रिया है, परम तनाव की । मजे की बात यह है कि सभी चीजे अगर अपनी पूर्णता तक ले जाई जायँ तो वे अपने ने विपरीत मे बदल जाती है | यही नियम है। अगर आप तनाव को उसकी अति पर ले जाएँ तो विश्राम शुरू हो जाता है । दृष्टातरूप में आप अपनी मुट्ठी वांधे और पूरी ताकत लगा दे उसे वने मे । जब आप के पास ताकत न बचेगी तो मुट्ठी सुल जायगी और आप मुट्ठी को खुलते देखेगे । तब आप वॉच भी नही सकेगे उसे, क्योकि सारी ताकत तो आप लगा चुके है । हाँ, वीरे से मुट्ठी बाँधे तो वह खुल नही सकती अपने आप क्योकि ताकत आपके पास सदा शेप है जिससे आप उसे वाँव रखेगे । महावीर कहते है कि सकल्प पूर्ण कर दो। इससे इतना तनाव पैदा होगा कि तनाव की आखिरी सीमा आ जायगी और फिर तनाव समाप्त हो जायगा, गिथिल हो जायगा । ले जाते है वे भी विश्राम की और, लेकिन उनका मार्ग है पूर्ण तनाव से भरा हुआ -- पूर्ण तनाव, ताकि हम तनाव से बाहर निकल आएँ । बुद्ध कहते हैं, जितना भी तनाव है उससे पीछे लौट आओ, तनाव छोड़ दो, तभी विज्ञान नाता है ।
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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