SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दशम अध्याय गोशालक की कथा का महत्त्व नाइवाइज्ज किंचण । -आ० ध्रु० १, म० २, ७०४ असल मे कहानियो को समझना बहुत मुन्किल है क्योकि वे प्रतीकात्मक होती है । गोशालक की कथा भी प्रतीकात्मक है। उमने महावीर पर तेजोलेन्या का प्रयोग किया है । यह एक ऐसी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है जिनसे कोई भी जलकर भस्म हो सकता है । महावीर को बचाने के लिए एक नायु उठना है और वह नष्ट हो जाता है । दूसरा उठता है और वह भी मर जाता है। महावीर देखते रहते है। तीसरा उठता है, परन्तु महावीर उमे रोक लेते है। प्रश्न है कि पहले दो साधुजो के प्रति महावीर की तटस्थता का कारण क्या था? उन दो नायुओ के प्रति उनमे करुणा क्यो न आई ? अगर रोकना ही था तो वे पहली ही बार रोक देते ताकि दो व्यक्ति न मर पाते। __ इसमे वहुत-सी बाते हो सकती है। पहली बात यह कि व्यक्ति किसलिए उठा, यह वडा महत्त्वपूर्ण है। हो सकता है कि वह सिर्फ अहकारवश उठा हो और यह दिखाने उठा हो कि मैं महावीर को बचा सकता हूँ। अहकार को कोई भी बचा नही सकता। महावीर भी नही बचा सकते । कहानी का अर्थ यह हो सकता है कि दो गोशालक थे-दो अहकार थे जो लडने को खडे हो गए। महावीर चुप रह गए। तीसरा व्यक्ति विनम्र और सीधा-सादा रहा हो और सिर्फ आहुति देने को उठा हो। जब तक एक व्यक्ति और मरे तब तक भी महावीर जी जाएं, इसलिए उठा हो । महावीर उसे रोकते है। असल मे कहानियां सारी बाते स्पप्ट नहीं कर पाती। हजारो साल से चलने के कारण उनके रूखे तथ्य ही हाथ मे रह जाते है । असल मे जिन दो व्यक्तियो को बचाने के लिए महावीर ने कुछ नही किया वे ऐसे व्यक्ति रहे हो जिन्हे वचाया ही नहीं जा सकता था। हो सकता है कि वे महावीर के लिए नहीं, अपने लिए ही खडे हुए हो। हो सकता है कि वे गोशालक को यह दिखा देना चाहते हो कि हम भी कुछ है | महावीर के पास सिवा दर्शक होने के और कोई उपाय न रहा हो। तीसरे व्यक्ति को वे रोकते है, जिसका अर्थ यह भी हो सकता है कि वह-तीसरा व्यक्ति--निरहकार रहा हो और वह १. किसी भी प्राणी की हिंसा न करो।
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy