SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ महावीर परिचय और वाणी १०१ ( क्योकि मैंने पिछले जन्म म उमे गाली दी थी ) तो फिर मेरा कम शुरू हो जायगा, क्या गाली देने की भरी वृत्ति--सूली रेया-मर साथ है ही । अन अगर वह मुझे गाली देगा तो में फिर उसे गाली दूगा और यह सिलसिला अन जमा तक चलता रहेगा, क्योकि अगर एक कम भी शेष रह गया तो उसे भागा में फिर नए-नए म निर्मित हाने चले जायेंगे। अगर कमवाद की पुरानी व्याख्या सही है तो दुनिया म बहुत दुस उठा चुके । से बहुत बार जा चुव कोशिश की थी कि प्रत्येक भी को मुक्त हुजा ही नहीं। लेकिन दूनिया में मुक्त लोग हुए है और व इसलिए मुक्त हा सके हैं कि कर्मों के फर जागे के लिए शेष नहीं रह जाते । मिफ रहती है साथी हुई वृत्ति | भर जगर आदमी सोया ही रह ता उही क्र्मों का दोहराता चला जायगा । नाग जाय तो दुहराना बाद कर देगा + यानी मुझे कोई मजनूर नहीं बर रहा है कि मैं नोध व सिना मेरी मूर्द्धा वे । अगर में जाग गया तो कहता हूँ कि ठीक है इस रास्ते इसलिए महावीर ने स्मरण हो, ताकि उसे इस बात का पूरा-पूरा एहमास हा किया था । अगर किसी व्यक्ति का दा चार जमा का पता लगगा वि उसने बहुत बार धन कमाया वईमानी की, प्रेम किया, यश कमाया अपमान सहा - उसने वे सारे धमन्युक्म किए थे जिन्हें वह इस जन्म म कर रहा है । ऐसा एहसास होते ही वह जाग उठेगा और फिर इनकी जोर उन्मुख न होगा । उस यह साफ साफ दीस पडेगा वि घन, यण, प्रेम आदि सब पथ है । उसन धन माया था, परन्तु क्या हुआ उस धन का ? उस पिछने जमा म यश मिला था, परन्तु वहां गया वह यश ? यदि वे न रहे तो फिर इस जाम के घन और यश भी न रहेंगे। फिर इनके लिए इतनी परेशानी क्या? तो यह जागरण उसकी सूसी रेसा का तोडने का कारण वन जायगा । इसमें तलाल वाघ वा सम्भावना है । मचता यह है कि जब भी मुक्ति होती है, वह तत्काल होती है । यक्ति का पिछले जमा का ऐस तक सनया निराधार चोटामा तो वह मुच जाय कि उसन क्या गया स्मरण हो जाय तो उसे इसी सदन में एक बात और समय लेनी चाहिए कि अन्याय कुछ भी नहा है जो हम कर रहे है वही हम भाग रह ह । पुराना एयाल था कि अगर मैं मोटाएँ तो दिसा जन्म भ वह भी मुवे चांग मारगा । इसका मत यह हुआ कि अगर मैं रिमी को चांटा मार दिया तो जवनव वह मुझे चांटा न मारले, तर तब वह भी मुक्त नहीं हा सनता । यात्री मरा कृत्य उसी भी अमुक्ति का कारण वर जायगा । यह इमा जन्म म मुक्त हो सकता था, मगर अब वह तब तक मुना न होगा जब तब वह मुचे चांटा न मार । क्याकि मुये चाटा मारेगा कौन ? हिमान बसे पूरा होगा? उसे म तो लेना ही पड़ेगा और वह भी मरे धारण । हात है। भरा बहना यह है वि जब म किसी वा मारे हा, यह अनिवाय नहीं है। चांटा मारन म म
SR No.009967
Book TitleMahavir Parichay aur Vani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year1923
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy