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________________ ज्यों था त्यों ठहराया चंदूलाल की पत्नी गुलाबो अपनी एक सहेली से कह रही थी कि मुझे तो इस चंदूलाल पर शक होता है--बहुत होता है। यह बेईमान जरूर किसी स्त्री के चक्कर में फंसा है। अब कल की ही बात: मैंने सपना देखा कि एक स्त्री की तरफ बड़ी गौर से देख रहा था और पास ही सरकता जा रहा था! उस सहेली ने कहा, तू भी पागल हुई! अरे, यह तो सपना था! गुलाबो ने कहा, जब मेरे सपने में ऐसी हरकतें कर रहा है, तो अपने सपने में क्या नहीं करता होगा! जब मेरे सपने तक में इतनी हिम्मत कर रहा है, तो जरा सोच तो कि अपने सपने में क्या नहीं करता होगा! मैं मौजूद--और मेरे सामने सरकता था उसकी तरफ! मुझे तो शक होता है। मुझे तो इस पर भरोसा नहीं आता। यह जरूर किसी के पीछे पड़ा है। इसकी चाल-ढाल! जब से यह सपना देखा है, तब से हर बात में मुझे शक होता है। चोर की तरह घर में घुसता है। चारों तरफ देखता है! शादीशुदा आदमी घुसता ही चोर की तरह है। इसमें कोई करेगा क्या! एक बच्चा अपने साथी को कह रहा था, मेरे पिता सिंह की तरह दहाड़ते हैं। हाथी की तरह मस्त चाल से चलते हैं। हिरणों की तरह दौड़ सकते हैं! उस दूसरे लड़के ने कहा, अरे, छोड़ो भी। और जब पत्नी के साथ चलते हैं--तेरी मम्मी के साथ--तो बिलकुल भीगी बिल्ली की भांति! यह सब हाथी की चाल, और शेर की तरह दहाड़ना, और हिरण की तरह दौड़ना--असलियत नहीं है। असलियत तो वह है जो पत्नी के सामने...! एक बेटे ने अपने बाप से आकर पूछा कि हमारी भाषा को मातृभाषा क्यों कहा जाता है? बाप ने चारों तरफ देखा। बेटे ने कहा, क्या देख रहे हैं? कहा कि तेरी मम्मी को देख रहा हूं! फिर कान में फुसफुसा कर कहा!... हालांकि मम्मी दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ रही थी। कान में फुसफुसा कर कहा कि बेटा, सन। भाषा को मातृभाषा इसलिए कहा जाता है कि पिता को तो बोलने का अवसर ही कहां मिलता है! माता के रहते पिता बोल सकता है? इसलिए मातृभाषा! पितृभाषा तो कह ही नहीं सकते! तो चंदूलाल बेचारा अगर डरा-डरा घर में घुसता हो, चारों तरफ देख-देख कर घर में घुसता हो--इससे सिर्फ शादीशुदा है, इतना ही पता चलता है। मगर पत्नी ने जब से सपना देखा, तब से उसे शक हो रहा है। हम सपनों पर भरोसा कर लेते हैं! हम सपनों में जीने लगते हैं। और यूं मत समझना कि गुलाबो की ही यह गलती है। मंजु! यह सबकी गलती है। जाग कर भी हम सपनों में जी रहे एक मित्र ने पूछा है कि मैं लोबसांग राम्पा की किताबें पढ़ रहा हूं। बड़ी प्रभावित करती है। लेकिन आपको सुनता हूं, तो कभी-कभी शक होता है कि पता नहीं ये बातें सच्ची हैं या नहीं! Page 98 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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