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________________ ज्यों था त्यों ठहराया पर जाओ। बस, बातें अच्छी-अच्छी करो। करते रहो बेईमानी--और ईमानदारी की तख्ती लगाए रखो। राम-राम जपते रहो; माला फेरते रहो--और जब मौका लग जाए, तो चूको मत; अवसर चूको मत। जब हाथ लग जाए कोई मौका, मत चूक चौहान! मार दो हाथ। फिर राम-राम जप लेना। फिर गंगाजल पी लेना। क्या बिगड़ता है! यहां जिंदगी पाखंड सिखा रही है। जो तुमसे कहते हैं, अच्छे काम करो। सच बोलो। हिंसा न करो। पाप न करो। वे ही तुमसे कह रहे हैं कि बेटा, संसार में कुछ कर के दिखा जाना। नाम छोड़ जाना। प्रधानमंत्री हो जाना कम से कम। राष्ट्रपति हो जाना। अरे, कुछ तो हो जाना! वे ही सिखा रहे हैं--महत्वाकांक्षा। वे कहते हैं, कक्षा में प्रथम आना। आगे खड़े होना दुनिया में। धन कमाना। नाम कमाना। यश कमाना। समय की रेत पर कोई चिह्न छोड़ जाना। इतिहास में स्वर्ण-अक्षरों में तुम्हारा नाम लिखा जाए। कुल की मर्यादा रखना! अब ये दोनों बातें साथ-साथ नहीं हो सकतीं। अगर महत्वाकांक्षी होओगे, तो झूठ भी बोलना पड़ेगा। राजनीतिज्ञ और झूठ न बोले--असंभव। मुल्ला नसरुद्दीन एक कब्रिस्तान से निकल रहा था। उसने एक कब्र पर देखा कि लिखा है, यहां एक ईमानदार राजनीतिज्ञ विश्राम कर रहा है! मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा, एक-एक कब्र में दो-दो आदमी कैसे हो सकते हैं? ईमानदार और राजनीतिज्ञ? ईमानदार हो, तो उसकी कब्र ही न बनेगी। बेईमान हो, तो शिखर पर चढ़ सकता है यहां दुनिया के। जितना कुशल हो, जितना बेईमान हो, जितना चालबाज हो, जितना चतुर हो, जितना कपटी हो--कहे कुछ, बोले कुछ, करे कुछ! जिसको पहचान ही न पाओ कि आ रहा है कि जा रहा है।... मुल्ला नसरुद्दीन का एक मित्र है राजनेता। एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन ने उससे कहा कि मैं बड़ा परेशान रहता हूं। लोग आ जाते हैं, बैठ जाते हैं मुहल्ले के। और घंटों सिर खाते हैं। जाते ही नहीं। राजनेता ने कहा, इसकी भी तरकीब है। मुझको देखो, मैं क्या करता हूं! तुम्हारे पास इतने लोग नहीं आते, जितने मेरे पास आते हैं। मगर जैसे ही कोई आता है, मैं तत्क्षण उठ कर खड़ा हो जाता हूं। जूते पहन लेता हूं। छतरी उठा लेता हूं। टोपी लगा लेता हूं। वह आदमी पूछता है कि आप आ रहे हैं कहीं से कि कहीं जा रहे हैं? तो जैसा आदमी होता है...। अगर कोई आदमी जिसको मुझे खिसकाना है, तो मैं कहता हूं--मैं जरा बाहर जा रहा हूं भाई! अगर बिठालना है; काम का आदमी है, जिससे कुछ मतलब है, तो कहता हूं--अभी-अभी आया। बड़े मौके पर आ गए! अब देखते हो इस आदमी की होशियारी! छाता उठा लिया। टोपी लगा ली। जूते पहन लिए। एकदम खड़ा हो गया। जो भी आदमी आएगा पूछेगा कि आप आ रहे हैं कि जा रहे हैं! राजनेता का कुछ पक्का नहीं कि आ रहा है कि जा रहा है! Page 82 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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