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________________ ज्यों था त्यों ठहराया किसी को नहीं आया दुनिया में यह खयाल। हमको आया खयाल! क्या-क्या मच्छड़! क्या-क्या खटमल! अरे, खाट भी छोड़ दोगे, तो भी खटमल नहीं छूटेंगे। तो महावीर बेचारे करवट नहीं बदलते रात में, कि कहीं करवट बदलने में कोई खटमल दब जाए; कि कोई मच्छड़ दब जाए! और नंग-धडंग महावीर को खटमल और मच्छड़ सताते तो बहुत होंगे, इसमें कोई शक नहीं। महावीर ने कहा भी है अपने शिष्यों को कि ध्यान में मच्छड़ बाधा डालेंगे। फिक्र न करना। यह परीक्षा है। मच्छड़ सदा से दुश्मन हैं ध्यानियों के! मैंने तो एक मच्छड़ को अपने बच्चों से कहते सुना है कि बेटा, अगर आज ठीक से व्यवहार किया, तो सुबह ही बुद्धा-हॉल में ले चलेंगे प्रवचन सुनवाने! मगर अगर ठीक से व्यवहार किया तो! अगर गड़बड़झाला किए, फिर नहीं ले जाएंगे! मच्छड़ पुराने दुश्मन हैं। महावीर ने कहा है कि मच्छड़ सताएंगे, ये व्यवधान खड़ा करेंगे ध्यान में। तपस्वी इन पर ध्यान नहीं देता। तपस्वी तो अपने ध्यान में ही लगा रहता है। काटे जाओ--कोई फिक्र नहीं। हिलता ही नहीं; डुलता ही नहीं। और महावीर को तो और भी मच्छड़ सताते रहे होंगे, क्योंकि जैनी कहते हैं कि जब सांप ने उनको काटा, तो खून नहीं--दूध निकला! अब मच्छड़ छोड़ेंगे दूध पीना! ऐसा सस्ता मिलता हो दूध--बिना डेरी गए--कि महावीर को चूसा--और दूध पीया! पी-पी कर फूले न समाते होंगे! तो वह तो महावीर कहते हैं, करवट भी सम्हल कर लेना। रात लेना ही मत। एक ही करवट सोते रहे बेचारे। और इधर एक कृष्ण हैं, जो कहते हैं कि जी भर कर मार। कोई हर्जा नहीं। कौन-सा अच्छा काम है? जीसस शराब पीते थे। शराब पीना अच्छा काम है या बुरा? मोरारजी भाई स्वमूत्र पीते हैं। अब स्वमूत्र पीना अच्छा काम है या बुरा? किसको कहोगे? किसको तय करोगे? कैसे तय करोगे? रामकृष्ण परमहंस मछली खाते थे। बंगाली और मछली न खाएं बहुत मुश्किल! मछली और चावल--इसके बिना बंगाली बनता नहीं। इसलिए तो बिलकुल फुसफूसा होता है। इसलिए कहते हैं--बंगाली बाबू। बाबू तो बंगाली ही होता है। पंजाबी को बाबू नहीं कह सकते तुम। वह बाबू होता ही नहीं। वह बिलकुल ठोस होता है। बंगाली बाबू होता है। बंगाल की हवा में थोड़ा--बिहारी बाबू होता है। मगर थोड़ा। पचास प्रतिशत। फिर वहीं खतम हो जाते हैं। असली बाबू वहीं खतम हो जाते हैं। पंजाबी को बाबू कहोगे? ये विनोद बैठे हैं--इनको बाबू कहोगे! ये हमारे संत महाराज बैठे हैं-- इनको बाबू कहोगे! ये लट्ठ ले कर खड़े हो जाएंगे। ये समझेंगे--गाली दे रहे हो। बाबू का मतलब भी गाली ही होता है। बाबू का मतलब होता है: बू-सहित; जिसमें बास आती हो। असल में अंग्रेजों ने बंगालियों के लिए यह गाली खोजी थी। क्योंकि बंगालियों में मछली की बास आती है। Page 75 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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