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________________ ज्यों था त्यों ठहराया जीवंत है कि उसके साथ भी जो हो लोग, वह भी जीवित हो जाएगा। मगर यह साथ ज्यादा देर चलने वाला नहीं है। आज नहीं कल, कल नहीं परसों, रास्ते अलग हो जाएंगे; आत्मा अपने रास्ते पर चल पड़ेगी; उसकी यात्रा और है--और शरीर पड़ा रह जाएगा। एक क्षण में क्या से क्या हो जाता है! मुठ्ठियों में खाक लेकर दोस्त आए बादे दफ्न जिंदगी भर की मुहब्बत का सिला देने लगे! क्या सिला दिया! मुट्ठियों में खाक ले कर आए थे। मुर्दे को जब गड़ाते हैं, तो हर मित्र उस पर एक मुठी खाक डाल देता है। यह सिला दिया मुट्ठियों में खाक लेकर दोस्त आए बादे दफ्न जिंदगी भर की मुहब्बत का सिला देने लगे। क्या सिला दिया! दोस्ती का क्या परिणाम आया? ये सारे प्रेम का--जीवन भर के प्रेम का-- क्या निष्कर्ष, क्या निचोड़ निकला? और किसी के मुंह से भी न निकला कि इन पर खाक न डालो ये हैं आज ही नहाए हुए! मुर्दे को नहला कर ले जाते हैं; नए कपड़े पहना कर ले जाते हैं! और किसी के मुंह से यह न निकला कि आज ही बदले हैं इन्होंने कपड़े और आज ही हैं ये नहाए हुए! जिंदगी भर की मुहब्बत का सिला देने लगे! और यह सिला दिया कि खाक फेंकने लगे! इनसे यह आशा न थी! दोस्त? दुश्मन यह करते तो ठीक थे। लेकिन दोस्त भी क्या करें। मिट्टी मिट्टी में गिर गई; अब और क्या भेंट दें! मिट्टी ही भेंट देने को रही। क्षण में क्या हो जाता है! क्षण में हो जाता है। अभी सब ठीक था। अभी क्षण में सब बिगड़ जाता है। मैंने परसों ही श्री रेखचंद्र पारेख का नाम उल्लेख किया था। अभी कुछ दिन पहले चल बसे। साधु की दीक्षा ली थी उन्होंने, और कहते थे: जल्दी ही आता हूं! जल्दी आता हूं। अब गैरिक में दीक्षा लेनी है; संन्यासी होना है। और जल्दी-जल्दी में उन्होंने आठ साल बिता दिए! आठ साल हो गए उनको मुझसे नहीं मिले! आठ साल से खबरें आती रहीं कि अब आया; अब आया! आता हूं। जरा काम-धाम सुलझ जाए। यह उलझन, वह उलझन! और मरे भी तो क्या मरे! कैसे मरे! खेत पर थे। रात सोए-सोए प्राण निकल गए! धनाडय थे। उन्होंने मेरे काम को बहुत सहायता दी। लेकिन खेत पर थे। बीस मील दूर थे चांदा से। सुबह मजदूर जब आए काम करने, तो देखा कि आज सेठ नहीं! तो जाकर जो उन्होंने खेत पर बंगला बना लिया था, दरवाजा Page 54 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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