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________________ ज्यों था त्यों ठहराया यूं ही बहुत समय बीत गया कब-कब करते, कितना गंवाया है! जन्म-जन्म से तो पूछ रहे हो--कब। छोड़ो कब। अब भाषा सीखो अब की। जीसस ने अपने शिष्यों से कहा है, देखते हो ये लिली के फूल, ये जो राह के किनारे खिले हैं! इनका सौंदर्य देखते हो! सोलोमन भी, सम्राट सोलोमन भी अपनी हीरे-जवाहरातों से जड़ी हुई वेशभूषा में इतना सुंदर न था, जितने ये भोले-भाले नंगे फूल, लिली के फूल, ये गरीब फूल! एक शिष्य ने पूछा, प्रभु इनका राज क्या है? तो जीसस ने कहा, ये अभी जीते हैं। इनके लिए न बीता कल है, न आने वाला कल। आज सब कुछ है। यही इनके सौंदर्य का राज है। तुम भी यूं जीयो, जैसे लिली के फूल--और सब रहस्य खुल जाएंगे, सब रहस्य पट उठ जाएंगे। चूंघट उठ जाए अभी, परमात्मा के चेहरे से, मगर कब की पूछी, तो चूके। मन हमेशा कब की पूछता है। वह कहता है--कल। अभी समझें, और समझें, पीएंगे कल। पहले समझ तो लें, फिर पीएंगे। अरे पीयो तो समझोगे, समझ के कोई कभी पीएगा? समझेगा कैसे बिना पीए? चखी नहीं तुमने शराब कभी, कहते हो--समझेंगे? कैसे समझोगे? ढालो सुराही से। हो प्याली तो ठीक, नहीं तो हाथों की अंजुली बना लो। प्याली के लिए भी मत रुको, कि पात्र होगा तब पीएंगे, पात्रता होगी तब पीएंगे। प्याली के लिए भी मत रुको, अंजुली बना लो हाथों की। पीओ! शराब को समझने का एक ही ढंग है--पीना। और परमात्मा को समझने का भी एक ही ढंग है--पीना। चंद्रकांत, तुम पूछ रहे हो: समझने में बाधाएं क्या हैं? यह समझने की इच्छा ही बाधा है। और तो कोई बाधा नहीं देखता मैं। और कोई बाधा कभी रही नहीं। यह बाधा ऐसी है कि इसे तुम कभी हटा न सकोगे। तुम पूछते हो: उपाय क्या है? मैं बाधा को ही समझा लूं, तो बस उपाय मिल गया। बाधा यही है--समझने की आकांक्षा। यह बाधा ऐसी है, जैसे कोई आदमी कहे, पानी में मैं तब उतरूंगा, जब तैरना सीख लूंगा! बिना तैरे पानी में कैसे उतरूं? बात तर्कयुक्त है। तैरना सीखोगे कहां? अपने बिस्तर पर? गद्दी पर हाथ-पैर मारोगे? तैरना सीखोगे कहां? पानी में उतरना ही होगा। पानी में उतरोगे, तो ही तैरना सीखोगे। यह खतरा लेना ही होगा। बिना तैरे ही पानी में उतरना सीखना होगा। चलो, किनारे पर ही सही, मगर थोड़े-थोड़े उतरो। उथले में सही, मत जाओ गहरे में अभी, मगर पानी में उतरना तो होगा ही। एक ही चूंट पीओ, मत पी जाओ पूरी सुराही। कोई सागर पीने को नहीं कह रहा हूं, एक ही बूंद पीओ। चलो, इतना काफी है। मगर जिसने एक बूंद पी ली, उसे पूरे सागर का राज समझ में आ जाएगा। जिसने उथले में भी हाथ-पैर तड़फड़ा लिए, उसे तैरने का राज समझ में आ जाएगा। Page 40 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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