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________________ ज्यों था त्यों ठहराया मैं नहीं हूं नग्मा-ए-जांफिजा, मुझे सुन के कोई करेगा क्या । मैं बड़े बिरोग की हूं सदा, मैं बड़े दुखों की पुकार हूं। जिंदगी की दोनों संभावनाएं हैं: अंधेरी रात भी हो सकते हो तुम आलोकित दिवस भी। न किसी की आंख का नूर हूँ, न किसी के दिल का करार हूं। जो किसी के काम न आ सके, मैं वो एक मुश्ते - गुबार हूं।। यूं तो मिट्टी हो। अगर अपने को न पहचानो तो एक मुट्ठी भर मिट्टी हो। इससे ज्यादा तो कुछ भी नहीं। और मिट्टी मिट्टी में गिर जाएगी। मिट्टी मिट्टी में गिरनी ही है; कब गिर जाएगी, कहा नहीं जा सकता। इसलिए देर न करो जागने में देर न करो। जागने को स्थगित न करो। जागने को कल पर न टालो । जिसने कल पर टाला, उसने सदा के लिए टाला । मुट्ठियों में खाक लेकर दोस्त आए बादे दफ्न मुट्ठियों में खाक लेकर..... और करें भी क्या जब कोई मर जाए, तो दोस्त और करें भी क्या अब खाक पर खाक ही डाली जा सकती है। मुट्ठियों में खाक ले कर दोस्त आए बादे दफ्न जिंदगी भर की मुहब्बत का सिला देने लगे! क्या सिला दिया खूब सिला दिया। जिंदगी भर की मुहब्बत का सिला देने लगे! कैसा सिला-कि मुट्ठियां भर-भर के खाक डालने लगे। और किसी के मुंह से न निकला मेरे दफ्न के वख्त कि इन पर खाक न डालो इन्होंने आज ही बदले हैं कपड़े और आज ही हैं ये नहाए हुए मुट्ठियों में खाक ले कर दोस्त आए बादे दफ्न जिंदगी भर की मुहब्बत का सिला देने लगे! पर करें भी क्या करने को कुछ बचता भी नहीं इधर सांस उखड़ी उधर लोगों ने अर्थी सजाई क्षण भर में क्या हो जाता है। जरा सी देर में क्या हो गया जमाने को अभी जो अपने थे पराए हो गए! जरा सी देर में क्या हो गया जमाने को ! लेकिन जमाना भी क्या करे! तुम मिट्टी ही रहे; मिट्टी में ही गिर गए। तो अब मिट्टी में ही पूर कर लोग चले गए। सब दबा कर चल दिए - - मिट्टी में दबा कर चल दिए ! कोई दुआ सलाम भी नहीं करता। Page 236 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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