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________________ ज्यों था त्यों ठहराया मुर्गे लड़ाते हैं लोग। तीतर लड़ाते हैं लोग। और भीड़ इकट्ठी होती है। तीतर भी सोचते होंगे कि हो क्या गया आदमी को! मुर्गे भी सोचते होंगे कि हम ही भले। दो आदमी लड़ते हैं, हम तो फिक्र ही नहीं करते। लड़ते रहो। भाड़ में जाओ। आदमी अजीब पागल है! तो मुल्ला नसरुद्दीन से फरिश्ते ने पूछा, क्या मांगता है? उसने कहा, सौ का नगद नोट हो जाए। फरिश्ता भी कंजूस ही रहा होगा, क्योंकि फरिश्ता कहां सपने में! मुल्ला ही का मन है। इधर से फरिश्ता बना है। इधर से मुल्ला ! वही जवाब दे रहे हैं, वही सवाल कर रहे हैं। फरिश्ता भी पक्का कंजूस रहा होगा। उसने कहा कि सौ तो नहीं दूंगा। नब्बे ले लो। मुल्ला ने कहा, सौ से एक पैसा कम नहीं! फरिश्ता भी इंच-इंच बढ़े। उसने कहा, इक्यानबे ले लो! मुल्ला भी जिद्द पर अड़ा कि सौ ही लूंगा। नगद बंधा हआ नोट! लोग अंधे नोट के बड़े प्रेमी हैं। दूसरों से उधार ले कर खर्चा करते हैं। कहते हैं कि जरा बंधा नोट है। तुड़वाना नहीं है। जरा एक रुपया हो तो दे दो। बंधा नोट है। अरे, तो बंधे नोट का क्या करोगे? उस गरीब का भी एक का बंधा नोट है। उसका तुड़वाए दे रहे हो! आना बंधा बचा रहे हो! बंधे नोटों को लोग बांधते हैं! मुल्ला ने कहा, लूंगा तो बंधा नोट। इक्यानबे वगैरह से काम नहीं चलेगा! तो फरिश्ते ने कहा, अच्छा, बानबे ले लो। होनी लगी बड़ी छीना-झपटी निन्यानबे पर बात बिलकुल अटक गई। फरिश्ता भी इंच आगे न बढ़े। उसने कहा, निन्यानबे से एक कौड़ी ज्यादा नहीं दूंगा। और मुल्ला कहे कि अब निन्यानबे तक आ गए, तो अब एक के पीछे क्या कंजूसी कर रहे हो! दूसरे की कंजूसी दिखाई पड़ती है, अपनी नहीं दिखाई पड़ती। मगर फरिश्ता बोला, निन्यानबे से एक कौड़ी ज्यादा नहीं। लेना हो, ले ले। बात इतनी बिगड़ी कि मुल्ला चिल्लाया कि देना हो तो सौ। नहीं तो मैं भी लेने वाला नहीं हूं। बंधा लूंगा। क्योंकि टूटे नोट खतम हो जाते हैं। कहते हैं न लोग--बंधी मुट्ठी लाख की, खुली तो खाक की। बंधे नोट का मजा ही और होता है! जोर से चिल्लाया कि लूंगा तो सौ! तो नींद खुल गई। नींद खुल गई, तो फरिश्ता नदारद! जल्दी से आंख बंद कर ली और कहा, अच्छा बाबा, निन्यानबे दे दे! मगर अब कहां-- फरिश्ता ही नहीं है! अट्ठानबे ही दे दे। अरे भई, जो देना हो दे दे। इक्यानबे ही दे दे। नब्बे दे दे। मगर वहां कोई है ही नहीं। फरिश्ता नदारद हो गया। नींद के सपने तो टूट जाएंगे--नींद के साथ ही। इसलिए जो तुम्हें जगाएगा, वह पहले तो दुश्मन मालूम होगा। जीसस को तभी तो तुमने सूली दी। सुकरात को जहर पिलाया। यूं ही तो नहीं। अकारण तो नहीं।। तुम्हारी नींद को तोड़ता है जो, उस पर नाराजगी आती है। हम सपना देख रहे हैं प्याराप्यारा और इनको यह धुन सवार है कि नींद तुड़वा दें! ये नींद तुड़वाने के पीछे पड़े हुए हैं! सोने भी नहीं देते चैन से। ऐसे आदमी को सूली लगा दो। ऐसे आदमी को जहर पिला दो। Page 147 of 255 http://www.oshoworld.com
SR No.009965
Book TitleJyo tha Tyo Thaharaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherOsho Rajnish
Publication Year
Total Pages255
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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