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________________ श्रमण धर्म का पालन करना कठिन है। 191 * जैसे वस्त्र के थैले को हवा से भरना कठिन कार्य है। वैसे ही सत्वहीन व्यक्ति के लिए धर्म का पालन करना कठिन काम है। 152 जैसे मेरु पर्वत को तराजू से तौलना बहुत ही कठिन कार्य है वैसे ही निश्चल और निर्भय भाव से श्रमण धर्म का पालन करना बहुत ही कठिन काम है। 13 जैसे समुद्र को भुजाओं से तैरना बहुत ही कठिन कार्य है वैसे ही उपशमहीन व्यक्ति के लिए दम रूपी समुद्र को तैरना बहुत ही कठिन कार्य है। उपरोक्त उदाहरणों के अनुसार ब्रह्मचर्य अवश्य एक कठिन कार्य है किन्तु उन्हीं व्यक्तियों के लिए जो सत्वहीन, उपशमहीन एवं कमजोर हैं। दसवैकालिक सूत्र की टीका के अनुसार अधृतिवान पुरुष के लिए तप निश्चित ही दुष्कर है।155 ज्ञानार्णव में ब्रह्मचर्य की दुष्करता का विस्तृत वर्णन है, वहां इसे वीर धुरंधरों का विषय माना गया है। 156 दुष्कर होते हुए भी ब्रह्मचर्य को असंभव नहीं कहा गया है। प्रश्नव्याकरण सूत्र के अनुसार भगवान महावीर ने ब्रह्मचर्य व्रत के पालन करने के मार्ग - उपाय गुप्ति आदि भली भांति बतलाए हैं। 157 इतिहास का उदाहरण देते हुए सूत्रकार कहते हैं कि शुद्ध आचार या स्वभाव वाले मुनि, महापुरुष, धीर शूरवीरे, धार्मिक पुरुष, धैर्यवान आदि व्यक्तियों ने सदा जीवन भर भावपूर्वक सम्यक् प्रकार से ब्रह्मचर्य का पालन किया है। 156 5.4 ब्रह्मचर्य : अर्हताएं (1) निर्वेद - उत्तराध्ययन सूत्र में मृगापुत्र के मुख से सूत्रकार कहते हैं - "जिस व्यक्ति की ऐहिक सुखों की प्यास बुझ चुकी है, उसके लिए कुछ भी दुष्कर नहीं है। 100 (2) धैर्य - उत्तराध्ययन सूत्र में कहा गया है कि कामभोग अधीर पुरुषों द्वारा दुस्त्याज्य है। किन्तु जो सुव्रती साधु हैं, वे दुस्तर काम भोगों को उसी प्रकार तर जाते हैं जैसे वणिक् समुद्र को। 100 (3) शक्ति - जिनदासगणि महत्तर ने आचारांग चूर्णि में पराक्रम को ब्रह्मचर्य की अर्हता माना है। 181 उत्तराध्ययन सूत्र के वृत्तिकार ने इसे सुन्दर श्लोक के माध्यम से और स्पष्ट किया है - विषयगण: कापुरूषं करोति, वशवर्तिनं न सत्पुरूषम्। बध्नाति मशकं एव ही लूतातन्तुर्न मातंगम्।। इन्द्रियों के विषय दुर्बल व्यक्ति को ही अपने वश में कर सकते हैं। सत्पुरुष सबल 33
SR No.009963
Book TitleJain Vangmay me Bramhacharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinodkumar Muni
PublisherVinodkumar Muni
Publication Year
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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