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________________ भावनाबोधमेंसे विचार करने योग्य प्रश्न मोक्षके स्वरूपके विषयमें शंका करनेवाले तो कुतर्कवादी हैं, उन्हें क्षणिक सुखसंबंधी विचारके कारण सत्सुखका विचार नहीं आता। कोई आत्मिकज्ञानहीन यों भी कहता है कि इससे कोई विशेष सुखका साधन वहाँ है नहीं, इसलिये अनंत अव्याबाध सुख कह देते हैं। उसका यह कथन विवेकपूर्ण नहीं है। निद्रा प्रत्येक मानवको प्रिय है; परन्तु उसमें वह कुछ जान या देख नहीं सकता; और यदि कुछ जाननेमें आये तो मात्र स्वप्नोपाधिका मिथ्यापना आता है जिसका कुछ असर भी हो । वह स्वप्नरहित निद्रा जिसमें सूक्ष्म एवं स्थूल सब जाना और देखा जा सके, और निरुपाधिसे शांत ऊँघ ली जा सके तो उसका वह वर्णन क्या कर सकता है ? उसे उपमा भी क्या दे सकता है ? यह तो स्थूल दृष्टांत है; परन्तु बाल, अविवेकी इस परसे कुछ विचार कर सके, इसलिये कहा है। भीलका दृष्टांत, समझानेके लिये भाषाभेदके फेरफारसे तुम्हें कह बताया। (भावनाबोध - मोक्षमाला समाप्त) नीचे लिखे हुए प्रश्नोका विचार कीजिए अनित्य भावना - भिखारी का खेद (पृष्ठ १) १. एक भिखारी एक गृहस्थ के घर पर क्यों गया? २. भिखारी को आनंद किसलिये हुआ? ३. झाड़के नीचे क्यों बैठा ? उसके पास क्या क्या चीजें थी? ४. स्वप्नमें उसने क्या क्या देखा? और किस कारण से जाग उठा? जागने पर खेद क्यों हुआ? अशरण भावना - अनाथी मुनि (पृष्ठ ४) १. जंगल का क्या नाम था ? वह जंगल कैसा सुंदर था? २. झाड़के नीचे कौन बैठा था ? ३. राजा मुनिको देखकर क्या सोचता है? और क्या करके उनके सामने बैठा? ४. राजा मुनिको क्या कहता है ? मुनिने क्या जवाब दिया ? ५. अनाथता किसे कहते है ? मुनिके पिताका नाम क्या था? ६. उनको कौनसी वेदना उत्पन्न हुई ? मातापिताने वेदनाको दूर करने के क्या उपाय किये? ८. अनाथपना कैसे कहा जाएगा? ९. क्या विचार करके सोये थे? १०. स्वयं और दूसरो के नाथ कैसे हुए? ११. नरकमें ले जानेवाला कौन ? और स्वर्गमें ले जानेवाला कौन ? १२. अनाथी मुनिके उपदेशसें राजा को क्या प्राप्त हुआ? १३. अनाथी मुनि के प्रति राजा क्या कहते है ? एकत्व भावना - नमिराजर्षि (पृष्ठ ८) १. नमिराजर्षिको कौनसी वेदना उत्पन्न हुई ? २. वैद्यने कौनसी दवाई बताई ? राणीया क्या घिसने बैठी? ३. आवाज़ किसका हुआ? आवाज़ शांत होने पर नमिराजर्षिने क्या विचार किया ? ४. वैराग्य आनेसे किसकी स्मृति हुई ? ६. क्या विचार करके सो गये? अन्यत्व भावना -राजाधिराज भरतेश्वर (पृष्ठ १४) १. अंगूलीमेंसे क्या निकल पड़ा? अंगूली अशोभनीय किस कारणसे हुई ? २. दश अंगूलियोंमें ६०
SR No.009959
Book TitleDrusthant Katha
Original Sutra AuthorShrimad Rajchandra
AuthorHansraj Jain
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year
Total Pages67
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Rajchandra
File Size17 MB
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