SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनेकवचन भूतकाल धातु (क्रियापद) : गच्छ (जाना) एकवचन गच्छित्था गच्छित्था गच्छित्था पुरुष प्रथम पुरुष द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष गच्छिंसु गच्छिंसु गच्छिंसु पुरुष प्रथम पुरुष सर्वनामसहित भूतकाल के क्रियापद क्रियापद : भक्ख (खाना) एकवचन अहं भक्खित्था । (मैंने खाया ।) तुम भक्खित्था । (तूने/तुमने खाया ।) सा भक्खित्था । (उसने खाया ।) द्वितीय पुरुष अनेकवचन अम्हे भक्खिसु । (हमने खाया ।) तुम्हे भक्खिसु । (तुमने/सबने खाया ।) ते भक्खिंसु । (उन्होंने खाया ।) तृतीय पुरुष 'इत्था' और 'इंसु' ये भूतकालवाचक प्रत्यय जादा तर अर्धमागधी भाषा में ही पाये जाते हैं । सामान्य प्राकृत में भूतकालिक क्रियापदों के स्थान पर भूतकालिक विशेषण प्रयुक्त करते हैं । कुछ प्राकृत क्रियापद (धातु), उनके अर्थ तथा वाक्य । १) पास - देखना अहं मोरस्स चित्तं पासित्था । मैंने मोर का चित्र देखा । २) पिव - पीना अम्हे दुद्धपिविंसु । हमने दूध पिया । ३) उवविस - बैठना । तुमं कत्थ उवविसित्था ? तू कहाँ बैठी थी ? ४) सिक्ख - सीखना । तुम्हे किं सिक्खिसु ? तुमने क्या सीखा ?
SR No.009953
Book TitleJainology Parichaya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNalini Joshi
PublisherSanmati Tirth Prakashan Pune
Publication Year2010
Total Pages41
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size275 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy