SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 687
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६६० शीर्षक सूची ब्रह्मज्ञान ब्राह्मणोंका अलंकार कर्तव्यपालन मानवमात्रका अहंकार अलंकारोंका भी अलंकार भुजबलसे निरुपद्रव बनाये देशमें रहो सच्चा देश राजनियम श्रद्धा से पालो राजा राष्ट्रभर से धर्मपालन करानेवाला जीवित देवता राजशक्तिका व्यापक कर्मक्षेत्र राजदर्शनका आचार पृष्ठ शीर्षक सूची ३२९| पत्नीत्वका सदुपयोग ३३० ३३१ स्थिति, पुत्रत्यागकी स्थिति, सर्वत्यागकी स्थिति गुणवान् पुत्रके लाभको प्रशंसा सच्चा पुत्र सच्चा पुरुष सुपुत्र विना सुखकी असंभवता, भार्यात्वकी सफलता ब्रह्मचर्यविनाशकी स्थिति ३३३ ३३४ ३३५ ३३६ ३३७ ३३८ गुरुदर्शन तथा देवदर्शनका आचार ३४० राजाके पारिवारिकोंका सत्कार राजपरिषत्की गतिविधि से ३४९ परिचित रहो ३४२ पिताका स्वर्ग ३४३ राजधन अग्राह्य, ३४४ सन्तानके प्रति पिताका कर्तव्य ग्रामीण स्वार्थके बलिदानकी स्थिति ३४५ कौटुम्बिक स्वार्थके बलिदान की ३६६ ३४८ ३५० ३५२ ३५३ ३५४ चाणक्यसूत्राणि विनाशका पूर्वचिन्ह, सुखदुःख जीवनकी अनिवार्य स्थिति सुखदुःख स्वोत्पादित साधुका उपकारक के प्रति आत्मविक्रय वैभवकी मलाई बुराई बुद्धिपर निर्भर क्रोध के उत्तर में क्रोध मत करो, जितेन्द्रिय समाज के मूल्यवान् अपात्रका उपकार अकर्तव्य अनार्यकी अकृतज्ञताका कारण उपकारकके प्रति साधुकी कर्तव्य शीलता, देवापमान अकर्तव्य ३६५ घटनास्थल के प्रत्यक्ष दर्शनका धन परदाराभिगामी समाजकी पृष्ठ ३५७ ३६६ महत्व सार्वजनिक जलों के प्रति कर्तव्य ३६८ नग्नता असामाजिक स्थिति, ज्ञान देहोत्पादक समाजके अनुसार शान्तिका शत्रु, अन्नदानका माहात्म्य धर्मका मूलाधार धर्मद्रोह अकर्तव्य स्वर्गका साधन ३५८ ३५९ ३६१ ३६३ ३६४ ३६९ ३७१ ३७३ ३७४ ३७६ ३७७ ३७८
SR No.009900
Book TitleChanakya Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamavatar Vidyabhaskar
PublisherSwadhyaya Mandal Pardi
Publication Year1946
Total Pages691
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy