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________________ चाणक्यसूत्राणि राक्षसः ( विलोक्यात्मगतम् ) सत्यं अये अयं चन्द्रगुप्तः ? अंक ७ ) ६०४ सचमुच क्या यही चन्द्रगुप्त है ? ६ सिकन्दर के आक्रमणके समय चन्द्रगुप्त पश्चिमोत्तर भारत में था और ईरान जाकर उससे लडा था । वहां वह सिकन्दर विरोधी विद्रोहका नेतृत्व कर रहा था । वह उन दिनों कठिनतासे बीस वर्षका था । वह इतनी छोटी अवस्था में मगध से जाकर वहां इतने प्रभावशाली काम कभी नहीं कर सकता था । यदि वह मगधनिवासी होता तो यह गंभीर प्रश्न होता है कि इस बीस वर्षके युवकने सिंधु नदीके पश्चिमकी सब जातियों को थोडे समय में कैसे संगठित कर लिया ? सुदूर मगध से आये युवकके लिये सिन्धक आसपास के गणराज्योंका इस प्रकार अभूतपूर्व ढंगका भात्मसमर्पण समझ में आनेवाली बात नहीं है । वास्तविकता यह है कि इन लोगोंने अपने में से ही एकको शक्तिशाली पाकर उसके प्रति आत्मसमर्पण कर दिया था जो संयोग से चन्द्रगुप्त था । इस प्रकार वह सिंधु नदीके आसपास कहींका निवासी था । ७ जब चन्द्रगुप्तकी सेनाओंने मगध पर आक्रमण किया था तब उसके साथ यवन, पारसीक, बाल्हीक, काम्बोज सेनायें भी लडने के लिये आयी थीं। यदि वह मगधका निवासी होता तो इतनी छोटी अवस्थामें उसका इन प्रदेशोंसे सेना पा लेने योग्य प्रभाव होने की बात सहसा समझ में नहीं भाती । अस्ति तावत् शक - यवन - किरात - काम्बोज - पारसीकबाल्हीक प्रभृतिभिः चाणक्य-मति परिगृहीतैः चन्द्रगुप्तपर्वतेश्वरवलः उदधिभिरिव प्रलयोच्चालितसलिलैः समन्तात् उपरुद्धं कुसुमपुरम् । ( अंक २ ) 6 चन्द्रगुप्त तथा पर्वतेश्वरकी प्रलय में उछलते जलवाले सागरोंके समान चाणक्य बुद्धि-संचालित शक, यवन, किरात, काम्बोज, पारसीक, बाल्हीक आदि सेनाओं ने कुसुमपुरको चारों ओर से घेर लिया है। इन सब वर्णनों से स्पष्ट है कि चन्द्रगुप्त नंद वंशका नहीं था । '
SR No.009900
Book TitleChanakya Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamavatar Vidyabhaskar
PublisherSwadhyaya Mandal Pardi
Publication Year1946
Total Pages691
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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