SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 366
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ বাসমলিঙ্কা আলা ३३९ कर्तग्यमें सम्मिलित नहीं होसकता । सूत्रकारका मभिप्राय कर्तब्यके अवसर पर राजदर्शनार्थीको राजाके प्रति सम्मान प्रदर्शनकी प्रेरणा देना है। समाजने राजाको आत्मकल्याणकी दृष्टि से उच्चासन देरक्खा है । इस दृष्टि से उसके सम्मुख राजदर्शनके शिष्टाचारका पालन करना दर्शनार्थीका अत्यावश्यक कर्तव्य हो जाता है। ऐसे अवसरपर किसी भी प्रकारका शिष्टाचार प्रदर्शन न करना दर्शनार्थीकी ओर से राजाकी अवज्ञा करना बनजाता है। इसलिये उचित यही है कि दर्शनार्थी लोग राजाके हृदयपर अपनी यथोचित ( मर्यादित ) राजभक्तिका प्रभाव उत्पन्न करके ही अपना वक्तन्य उपस्थित करें। इस प्रकारका सम्मानसूचक उपहार न लेजाना यह संदेह उत्पन्न करसकता है कि यह व्यक्ति समाजभरके सामूहिक प्रतीक राजाके प्रति अवज्ञाका प्रदर्शन करना चाहता है। सर्वसाधारणके मनोंमें उपहारोंसे शिष्टों तथा राजाओं को भक्तिका प्रदशन करनेकी जो स्वाभाविक प्रेरणा रहती है और परिपाटी चली भारही है, उसके विरुद्ध माचरण करनेसे राजाके मनमें दर्शनार्थीके सम्बन्धमें संदेहो. त्पादन होनेकी पूरी संभावना रहती है । इस प्रकार के व्यवहारसे दर्शनार्थीके कर्तव्य के राजाका समर्थन पानेसे वंचित रह जानेकी शंका पैदा होजाती है। इस सूत्रमें इसी शंकासे अति रहकर राजदर्शन करनेका परामर्श दिया जारहा है । राजभक्ति के प्रदर्शनके द्वारा राजाके मनको अनुचित प्रभाषसे मुक्त रखना भी राजदर्शनार्थी प्रजाका कर्तव्य है। जिस प्रकार राजाके मनपर अनुचित प्रभाव डालना अपराध है, इसी प्रकार राजाके साथ प्रजाका पिता-पुत्रका-सा घनिष्ट सम्बन्ध रहना ही सच्चा राष्ट्रीय सम्बन्ध है। राष्ट्र भी तो एक विराट् परिवार ही है । इस राष्ट्ररूपी परिवार में प्रजाका राजाके साथ स्नेहपूर्ण निकटतम सम्बन्ध जुडा रहना ही पादर्श राष्ट्र नीति है। इन बातों को ध्यानमें रखते हुए राजदर्शन के समय प्रजाका व्यवहार स्वाभाविक स्नेह और प्रत्यक्ष हार्दिकताको साक्षी उपस्थित करनेवाला होना चाहिये । राजदर्शन के समय प्रजाको किसी प्रकारका कोई उपहार लेकर जाना चाहिये।
SR No.009900
Book TitleChanakya Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamavatar Vidyabhaskar
PublisherSwadhyaya Mandal Pardi
Publication Year1946
Total Pages691
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy