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________________ (२२०) श्रीमन्त्रराजगुणकल्पमहोदधि ।। का ध्यान उसकी अधिष्ठात्री वरदा के द्वारा कहा गया है, णकार के स्व. रूप को पीस विद्युत् के समान कहा है, जो कि वृष्टिका उपलक्षण (१) है, जैसा कि कहा भी है किः वाताय कपिला विद्युत्, पातपायातिलोहिनी ॥ पीता वर्षाय विज्ञया, दुर्भिक्षाय सिताभवेत् ॥ १॥ अर्थ कपिल वर्ण की विद्युत वात ( पवन ) के लिये है, अति लालवर्ण की विद्यत् प्रातप (१) के लिये है. पीत वर्ष की विद्यत् वृष्टि के लिये है तथा श्वेत वर्ण की विद्यु त दुर्भिक्ष के लिये है ॥ १॥ तात्पर्य यह है कि गाकार का स्वरूप वृष्टि के समान सर्वसुखदायक है फिर ग्राकार का स्वरुप पञ्चदेवमय कहा है, पञ्च देव ये ही पञ्च परमेष्ठी जानने चाहिये, जैसा कि यहां पर सकार का पञ्च परमेष्ठियों के साथमें सं. योग किया गया है, यथा “अरिहंताणं” “सिद्धाणं "मायरिया “तवज्झा याणं” “सवसाहू और केवल यही कारण है कि सिद्धियोंके आठों पदों में “णम्" का योग किया गया है, फिर देखिये कि गकार को पञ्च प्रा. णमय कहा है, क्योंकि-योगीजन पांच प्राणोंका संयम कर सिद्धिको प्राप्त होते हैं, अतः स्पष्ट भाव यह है कि जैसे ध्यान कर्ता पुरुष ब्रह्मा, विष्ण और महेशरूप णकार की प्राकृति (४) का उसकी अधिष्ठात्री देवी वरदा का ध्यान कर चिन्तन करते हैं तथा सिद्धि को प्राप्त होते हैं, जैसे योगी जन पांच प्राणों का संयम कर सिद्धिको प्राप्त करते हैं, जैसे श्रीजैनसिद्धा- . मतानयायी पञ्च परमेष्ठि रूप पञ्च देय का ध्यान कर सिद्धिको प्राप्त करते है. जैसे तान्त्रिकन उसके योगिनी प्रिय नाम का स्मरण कर योगिनी सपासना से सिद्धि को प्राप्त करते हैं और जैसे सांख्यमतानयायी उसे ज्ञान स्वस्प मानकर तथा नरकजित मानकर निर्गुसराय में उसका ध्यान कर सिद्धि को प्राप्त करते हैं, ठीक उसी प्रकार मनध्यमात्र बड़ी सुगमता (५) से "णम" इस पदके जप और ध्यानसे सर्व सिद्धियों को प्राप्त होता है, अतः “गामी" पदमें अणिमा सिद्धि सन्निविष्ट है, तथा अग्रवर्ती (६) सिद्धि दायक (७) सात पदों में भी “म” का प्रयोग किया गया है। १-सूचक ॥२-धूप ॥६-ध्यान करनेवाले ॥४-स्वरूप ॥ ५-सरलता ॥६-आगेके -सिद्धिके देनेवाले ॥ Aho! Shrutgyanam
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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