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________________ विषयानुक्रमणिका | विषय साधु के ९७ गुणों का वर्णन नमस्कार के कायिक आदि भेद तथा उनमें उत्तमता आदि परमेष्ठियों को कर्त्तव्य नमस्कार रात्रि नमस्कारके विषय में विचार नमस्कार का शब्दार्थ नमस्कार से पूर्व उपस्थापन की आवश्यकता पुष्पको हाथमें लिये हुए नमस्कार का निषेध... नमस्कार क्रियामें कर और शिर आदि के संयोगादि व्यापार का सविस्तर वर्णन... ... www ... *** ... कार्यों से पूर्व " णमो" पद को रखने का प्रयोजन मध्यवर्ती तथा अन्तवर्ती मंगल का निदर्शन अर्हत् आदि के क्रमका प्रयोजन नमस्कार्थी के सम्बन्ध में पृथक् पृथक् " णमो” पदके रखने का प्रयोजन " नवकार मन्त्र” नामका हेतु "पंच णमोक्कारो" ठीक है वा "पंचणमुक्कारो" ठीक है इस विषय का विचार "एसो पंचणमोक्कारो " इस पदका अर्थ छठे पद में "पंच" शब्द के प्रयोगका प्रयोजन : सातवें पदमें "सव्व” पद का प्रयोजन आठवें पदमें " सव्वेसिं" पदका प्रयोजन आठवें पद का प्रयोजन नवें पदमें "प्रथम " शब्द के रखने का प्रयोजन नवें पदमें "हव" क्रियाके रखने का प्रयोजन नवें पदमें "मंगलं" पद के रखनेका प्रयोजन ... ... ... ... ... ... Aho! Shrutgyanam ... षष्ठ परिच्छेद ( मन्त्रराज में सन्निविष्ट सिद्धियों का वर्णन ) मन्त्र में स्थित आठ सम्पदों के विषय में विभिन्न मत प्रदर्शन तथा अपना मन्तव्य - पृष्ठ से १८२ १८३ १८५ १८५ १८७ १८८ १८८ ૧૮૨ १६३ १६४ १९४ १६५ १६६ १६७ १६७ १६८ २०० २०० २०१ २०२ २०३ २०३ २०५ २०५ ( १५ ) पृष्ठतक १८५ १८७ १८८ १८६ १६३ १६४ १६५ १६६ G २०१ २०१ २०२ २०३ २०४ २३ २११]
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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