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________________ विषय प्रशंसनीय ध्याता का स्वरूप ध्येय के पिण्डस्थादि भेद frustrध्यान में ५ धारणायें पार्थिवी धारणा का स्वरूप आग्नेयी धारणा का स्वरूप वायवी धारणा का स्वरूप वारुणी धारणा का स्वरूप तंत्र भू धारणा का स्वरूप पिण्डस्थ ध्यान का फल विषयानुक्रमणिका | शुभ्राक्षर-ध्यान अनाहत देव-चिन्तन अलक्ष्य में मनः स्थैर्य-फल पदस्थ ध्यान-स्वरूप पदस्थ ध्यान विधि व फल पदस्थ ध्यान की अन्य विधि व उसका फल तत्त्वज्ञानी का लक्षण महातत्त्व-ध्यान- फल महामन्त्र प्रणव का चिन्तन कार्यविशेष में तद् ध्यान पञ्चपरमेष्ठि नमस्कार मन्त्र चिन्तन उसके चिन्तन की विधि उसके चिन्तन का फल व माहात्म्य उसके ध्यान की विधि व फल "क्षिम् " विद्या का ध्यान शशिकला-ध्यान उसके ध्यान का फल ⠀⠀⠀⠀⠀⠀ : ::: ... प्रणव, शून्य व अनाहत ध्यान तथा उसका फल अल्होकार का चिन्तन निर्दोष विद्या का जप २ : Aho! Shrutgyanam *** पृष्ठसे १०८ १०६ १०६ १०६ १०६ १०६ ११० ११० ११० ११० ११० १११ ११२ ११२ ११२ ११२ ११३ ११३ ११३ १९३ ११३ ११३ -११५ ११५ ११५ ११६ ११६ ११६ ११६ ( 2 ) पृष्टतक ११० १११ ११२ ११३ ११४
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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