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________________ (७) पृष्ठतक ६६ विषयानुक्रमणिका॥ विषय पृष्ठ से समाग वायु का स्थान वर्ण तथा उसके विजय का उपाय ... ६७ उदान वायु का स्थान, वर्ण तथा उसके विजय का उपाय ... ६८ व्यान घायु का स्थान, वर्ण तथा उसके विजय का उपाय प्राणादि पवनों में वीजों का ध्यान.... प्राण वायु के विजय का फल ... ... समान और अपान वायुके विजय का फल उदान वायु के विजय का फल ... ... रोग की निवृत्ति के लिये प्राणादिका धारण धारण आदि का अभ्यास... ... ... पवन के पूरण, धारण तथा विरेचन की विधि स्थान विशेष में धारण किये हुए पवन के फल ... सिद्धियों का प्रधान कारण पवन चेष्टा ... पवन स्थानादि का ज्ञान... ... उक्त शान से काल और गायु का ज्ञान .. मनका हृदय कमल में धारण ... ... उक्त धारण का फल ... ..: नासिका विवरस्थ भौम आदि चार मण्डल भौम मण्डल-स्वरूप .. ... १०० वारुण मण्डल-स्वरूप । वायव्य मण्डल स्वरूप ... ... आग्नेय मण्डल स्वरूा ... । मण्डलोंके भेद से चार प्रकार का वायु पुरन्दर वायु-स्वरूप .... ... १०१ वारुण वायु-स्वरूप ... ... ... ... ... १०१ पवन वायु-स्वरूप ... . दहन वायु-स्वरूप ... कार्य विशेष में उक्त इन्द्र आदि वायु का ग्रहण ... पुरन्दर वायु आदि की सूचना .... " १०१ वायु का चन्द्र और सूर्य मार्ग से मण्डलों में प्रवेश और निर्गम का शुभाशुभ फल .. ... १०१ .१०० १०० १०० " १०१ ___ ... ... ... १०१ १०२ Aho! Shrutgyanam
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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