SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ द्वितीय परिच्छेद ॥ (६७) - ध भी हः,, इत्यादि में भकार के स्थान में हकार कहा गया है, यह भी कहा गया है कि कहीं आदि में भी हो जाता है, अथवा बाहुलकसे जानना चाहिये )। १९--"त्राण" अर्थात् सत्पुरुषोंका शरण है, वह कैसा है कि-"नमोदाई" है, “न” नाम ज्ञानका है तथा “मोद” हर्ष को कहते हैं, उनके "अह" अर्थात् योग्य है। १२- "तान" नाम वस्त्र का है क्योंकि लोकमें तानकके सम्बन्ध से वस्त्र बनता है, कारणमें कार्यका व्ययहार होनेसे तान वस्त्र को कहते हैं, यह कैसा है कि नमो भरिह” है-“नर" अर्थात् मनुष्योंकी “मा” अर्थात् शोभाके "उदह” अर्थात् अत्यन्त योग्य है, तात्पर्य यह है कि वह मनुष्योंकी शोभाका करनेवाला है। १३-"हन्ल" यह शब्द खेद अर्थमें है, “नम्, अर्थात् नमत् अर्थात् कश है, उदर जिस (स्त्री) का उसे नमोदरी कहते हैं, अर्थात् कृशोदरी स्त्री को नमोदरी कहते हैं, वह (स्त्री) “मान"-है अर्थात चारों ओरसे वन्धन रूप है, तात्पर्य यह है कि-स्त्रियां सर्वत्र वन्धन रूप होती हैं। १४-“अरि हन्ताणम" अर्हत की श्राज्ञा को नमन करो अर्थात् उसमें प्रह्वीभावको, रक्खा यह शिष्यसे कहा गया है । १५-"म" नाम शिवका है, शिव शब्द से मोक्ष को जानना चाहिये, उसके ऊपर "हन्ता अर्थात् गमन करनेवाला नहीं है, मुक्ति के ऊपर अलोक के होने से किसीका गमन नहीं होता है, (हनंक हिंसागत्योः अर्थात हनंक धातु हिंसा और गति अर्थमें है। इसलिये यहां गत्यर्थक जानना चाहिये )। १६---इस जगत् में “अ” अर्थात् पर ब्रह्म के “कान,, अर्थात विस्तार को “उ अ" अर्थात् देखो, सब जगत् में ब्रह्म ही है, यह वेदान्तियोंका मत है; किन्तु “म" अर्थात विधाता नहीं है, ( म शब्द चन्द्रविधि और शिव अर्थ का वाचक है ), तात्पर्य यह है कि उनके मतमें विधाता अर्थात जगत का कर्ता कोई नहीं है ॥ १७-जिसके पास “२" अर्थात द्रव्य नहीं है उसको 'भरि" कहते हैं अर्थात् द्रब्य रहित कुल का नाम “अरि" वह कैसा है कि-"हताणा' है Aho! Shrutgyanam
SR No.009886
Book TitleMantraraj Guna Kalpa Mahodadhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinkirtisuri, Jaydayal Sharma
PublisherJaydayal Sharma
Publication Year1920
Total Pages294
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy