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________________ अंक २ ] मेरुतुंगाचार्यनी स्थविरावली मेरुतुंगाचार्यनी स्थविरावली. [ जर्नल ऑफ धी बॉम्बे बँच ऑफ धी रॉयल एसियाटिक सोसायटी, भाग ९ ( सन् १८६७-७० ) मां प्रकाशित डॉ. भाऊ दाजीनो निबन्ध ] इ. स. नी पंदरमी (? चौदमी) शताब्दिमां मेरुतुंग नामना एक जैन आचार्य थई गया छे. तेमना रचेला ग्रंथो पैकी चार ग्रंथोनी नकलो मारी पासे छे. एक प्रबंधचिंतामणि; जेनो फॉर्बससाहेबे रासमाला नामे गुजरातनो इतिहास लखवामां सारो उपयोग करलो छे. बीजुं महापुरुषचरित्र; जेमां अनेक अतिप्राचीन जैन सत्पुरुषोनां चरित्रो वर्णववामां आव्यां छे. त्रीजानं नाम षड्दर्शनविचार छे. आ ग्रंथमां, जैन, बौद्ध, सांख्य, जैमिनीय अथवा मीमांसा, औलुक्य अथवा कणाद अने गौतमीय एम छ दर्शनोनुं संक्षिप्त वर्णन करेलुं छे. अने चोथा ग्रंथनुं नाम ' थेरावली छे. आमां स्थावरोनी एक वंशावळी याने परंपरा आपेली छे. आ छेल्लो ग्रंथ, ते, कालगणनात्मक अने ऐतिहासिक मुद्दावाळी केटलीक प्राचीन गाथाओना उपर एक टीकारूप छे. आ सघळा ग्रंथो संस्कृत भाषामां रचाएल छे परंतु तेमां प्राकृत भाषानी गाथानां अवतरणो आपलां छे. मारी पाले छ भिन्न भिन्न जैन सूरिओ या पंडितोनी रचेली छ संपूर्ण पट्टावलीओ छे. अने बीजी पण केटलीक पट्टावलीओना अंशो छे परंतु तेमांनी एके ऐतिहासिक रसिकतानी ege मेरुतुंगनी थेरावलीने पहोंची शके तेवी नथी. प्रबंधचिंतामणि ग्रंथ, तेमां अंते जणाव्या प्रमाणे, संवत् १३६७ एटले इ. स. १४२३ (११३१० जोईए-संपादक ) मां काठी आवाडमां आवेला वर्धमानपुर अर्थात् वढवाण शहरमां, रचेलो हतो. पट्टावलीनो सार नीचे मुजब छे:-- कार्तिक वदी १५ ने दिवसे श्रीमहावीर तीर्थंकरनं निर्वाण थयुं. आ बाबत कल्पसूत्र नामना ग्रंथमां वर्णवेली छे. एक प्राचीन गाथानो पण आ स्थळे उल्लेख करेलो छे. ते गाथामां एम जणावेलू छे के जे रात्रिए अर्हन् तीर्थंकर महावीर निर्वाण पाम्या तेज रात्रिए अवन्ती ( मालवा ) तो चंडप्रद्योत नामनो राजा पण मरण पाम्यो. तेनी पछी तेनो पुत्र पालक अव तीनी गादी उपर अभिषिक्त थयो. मेरुतुंग पोतानी तारीखो अने कथनोना प्रमाणमां रूपांत. रित मागधीमां रचेली गथाओनो उल्लेख करे छे, अने ते गाथाओने संस्कृतगद्यमां विवरणपूर्वक समजावे छे. [ १३५ आ पालक राजानुं राज्य ६० वर्ष चाल्युं; ते वखते पाटलिपुत्रमां राज्य करता कूणिकना पुत्र उदायीनुं खून थयुं. * आ राजाने संतान नहि होवाथी नापित-गणिकाथी उत्पन्न थपल नंदनो, पांच देदिप्यमान आभूषणथी भूषित एवा मुख्य हस्तीनी पसंदगी अनुसार, राज्याभिषेक थयो. परिशिष्ट पर्व ( हेमचंद्रकृत ) मां एवं वर्णन मळी आवे छे के " वर्धमान स्वामी ( अर्थात् वीर ) ना निर्वाण पछी साठ वर्षो वीती गयां पछी आनंद राजा थयो अने तेनी पाछळ एक पछी एक एम अनुक्रमे नव नंदो पाटलिपुत्रनी गादीए आव्या. तेमनुं राज्य कुल १५५ वर्ष चाल्युं” आम वीर पछी २१५ वर्ष थाय पण परिशिष्ट पर्वमां एम पण कहेलुं छे के महावीरनिर्वाण पछी १५५ वर्ष चंद्रगुप्त राजा थयो. तेटला माटे मेरुतुंग आ हकीकत विचारणी छे एम जणावे छे, कारणके आ हकीकत प्रमाणे ६० वर्ष ओछां थाय छे. तेम अन्य ग्रंथोनी हकीकत साधे पण आ बावत विरोध धरावे छे. * कौणिक अगर कूणिक ते श्रोणिकनो पुत्र हतो. आ श्रेणिक भंभासारना नामे ओळखाय छे अने ते बौद्ध ग्रंथोमां वर्णवेला राजगृहनो राजा बिंबिसार ज हतो. Aho ! Shrutgyanam
SR No.009879
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 02 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1923
Total Pages282
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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