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________________ १३६ ] जैन साहित्य संशोधक [खंड २ त्यारपछी १०८ वर्ष मौर्य राज्य चाल्यु. चाणाक्ये नवमा नंदने गादी उपरथी दूर करी चंद्रगुप्त आदि मौर्य राजाओने पाटलिपुत्रनी राज्यगादी उपर स्थापित कर्या. एम वीर पछी ३२२ वर्ष वीत्या. मौर्यराज्य पछी पुष्यमित्रे ३० वर्ष राज्य को. त्यारबाद बलमित्र अने भानुमित्रे ६० वर्ष सुधी राज्य कर्यु. आ राजाओ ते उज्जयिनीनी गादी उपर थई गएला तेज नामना राजाओथी जुदा हता. कल्पचूर्णि (कल्पसूत्रनी एक टीका) मां एवी हकीकत आपेली छे के आ राजाओए (उज्जयिनीना) चतुर्थी पर्वना संस्थापक कालिकाचार्यने पोताना राज्यमांथी बहिष्कृत कर्या हता. तेमना पछी चालीस वर्ष नभोवाहने, जे केटलांक स्थळेोमां नरवाहनना नामथी ओळखाय छे तेणे, राज्य कर्यु. आ बनावनो समय वीरनिर्वाण पछी ४५३ वर्षे आवे छे. अने आ वर्षे गर्दभिल्लने निर्मूळ करनार कालिकाचार्य, मानपूर्ण सूरिपद पाम्या. नभोवाहन पछी गई भिल्ले १५२ वर्ष राज्य भोगव्युं अर्थात् गई भिल्लवंशनु राज्य कुल १५२ वर्ष रा. नभोवाहन पछी गईभिल्ल उज्जयिनीमां ज्यारे १३ वर्ष मात्र राज्य कर्यु हतुं ते वखते, कालिकाचार्य पोतानी बेन सरस्वती उपर करवामां आवेला जुलमने कारणे गईभिल्लनु निषूदन कर्यु, अने उज्जयिनीमां शक राजाओने स्थापित कर्या. तेओए त्यां चार वर्ष राज्य कर्यु अने ते रीते कुल १७ वर्ष थयां. गर्दभिल्लना पुत्र विक्रमादित्ये उज्जयिनीनुं राज्य पार्छ लीधुं अने सुवर्णना दानथी विश्वना करजने दूर करीने विक्रमसंवत् नामे नवीन संवत्सर प्रवर्ताव्यो. आ (युग) नी स्थापना वीर ना धार्षिक दानना वर्षथी * शरु थता वीर संवत् ५१२ वर्षे करवामां आवी. विक्रमना राज्यकालनां| ६० वर्षो. तेनो पुत्र विक्रम चरित्र उर्फे धर्मादित्यना राज्यकालनां तेना पछी थएला राजा भाइल्लना राज्यना , " " नाइल्लना राज्यना , " " नाहडना , ,, १४ " १० आ राजाना समयमां श्रीमहावीरनुं यक्षवसति नामर्नु मोटुं चैत्य, जालोर नजीक आवेला सुवर्णगिरिना शिखर उपर, एक वेपारी (श्रेष्ठि) ए पुष्कळ द्रव्य (९९ लाख ) खरची बंधाव्यु हतुं. विक्रम पछीना १३५ वर्षमा १७ वर्ष उमेरतां १५२ वर्ष थाय छे, अने (गाथामां) पण तेम ज कहेलुं छे. विक्रमराज राज्यकाल एटले के विक्रमनां वंशात्मक वर्षनी नभोवाहननी पछी १७ वर्षे शरुआत थई; विक्रम संवत् अगर राज्यारंभ ते विक्रमना राज्यथी, अथवा मेरुतुंगनी कल्पनानुसार विक्रमराज्यकालना १७ मा वर्षथी, शरु थयो. तेथी १५२-१७=१३५ वर्षो विक्रमकालयुगनां थाय छे. जिनकाल ते विक्रमकालनी पहेलांनो जिनवीरनो काल छे. आ ४७० वर्षनो काल ते श्रीमहावीर अने विक्रमनी वच्चेना कालनी बराबर छे. श्रीवीर अने विक्रमादित्यना काल या संवतनी गणत्री केवी रीते करवामां आवी हती विक्रमना राज्यनी शरुआत पहेलां ४७० वर्षे श्री वीरनुं निर्वाण थयुं हतुं, एटले के विक्रमना राज्यनी शरुआत वीरनिर्वाण बाद ४७० वर्षे थई. * दाननुं वर्ष के जे नवा संवतनी स्थापना- एक मुख्य कारण छे. राजा आखं वर्ष अतिशय सुवर्णराशि दानमां आपे छे त्यारे ते प्रवर्ते छ एम मानवं छे. महावीर पोताना मरण अगाउ ४२ मा वर्षमा तेम कर्यु हतुं एम कहेवाय छे. Aho! Shrutgyanam
SR No.009879
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 02 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1923
Total Pages282
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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