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________________ २०८ जैन साहित्य संशोधक (खंड १ गादिए बेठो हतो नहीं. एटले के १७ मा वर्षे प्रद्योतोना समयथी लई शकराज्य' अने विक्रम संतेनो अभिषेक थयो, एने एना तात्पर्यार्थ एवा नकळ वत् सुधीनी जैन कालगणना नीचे प्रमाणे छे. छे के ते सत्तरमा वर्षना अंतमां अथवा तो ४८७ (अ) पालक (जेनु प्रद्योत पछी गादिये आववानुं A. M J. ना अंते गादिए बेठो. आनुं परिणाम ए वर्णन पुराणोमांथी पण मळी आवे छे. ) जे रात्रिए मआव्यु के जैनोए विक्रम संवत्ना प्रथम वर्ष ( ई० स० हावीर निर्वाण पाम्या ते रात्रिए ( अर्थात् दिवसे ) अपूर्वे ५८-५७) ना अते अने ४७० A, M..J. वंतीनी गादिये बेठो. पुरा थयानी वच्चे १८ वर्षतुं अंतर मुत्यु.. (ब) तेनां ६० वर्षों पछी नन्दाना राज्यने एक “ब्राह्मण साम्र ज्य" नामना म्हारा लेखमां, म्हें अगत्यनो समय गणवामां आव्यो छे. अने तेओना रासाबीत कर्यु छ के जैनो विक्रम नामथी सातकर्णि बीजाने ज्यना एकंदर १५५ वर्ष गणेलां छ. पुराणोना हिसाबे, ओळखे छे (जे नहपानने ताबे करनार हतो अने जेना नंदवर्धनथी ते छेल्ला नन्द सुधी १२३ वर्ष थाय छे अने विधे नीचे जुओ-) के जे लगभग ई. स. पूर्वे ५७ वर्षे तेटला काल सुधी ए लोकोनु राज्य चाल्यु. ३२ वर्षनो मत्य पाम्योः अथवा तो तेना पुत्र पुलुमायि के जे जे वधारो छ त आपणने उदायोना राज्यना प्रथम अथवा तेना पछी ते ज वर्षे गादिये बेठो. अने म्हारा पोताना बीजा वर्ष आगळ लावी मुके छे. एटले के पालकवंशनो मत प्रमाणे तो हवे पुलुमायि ए ज जैनोनो खरो लक्ष्य खेंचवा लायक बोजो एक अगायनो समय, उदाविक्रम के. (कारण के-लोकमां तनुं बीज अने घणं क- यीना राज्यारोहणथी शरु थाय छे. पण पुराणी प्रमाणे रीने वधारे प्रचलित नाम 'विलवय ' हतुं (कुरु-राजा) अजातशत्रुना छठ्ठा वर्षनी पालकना राज्यारोहण ) अने [ सरखाबो, शिकानु नाम विविलक (A- ) पिलव, उदायीना अभिषेकनी वच्चे आपणे ६४ वर्ष मूकी ए (I-) पुराणोनो विलक, W. and H, 195; V. छीए, ज्यार जैन कालगणना प्रमाणे पालक ( एटले पाP. 45 n ] आज विलव (विडव ) अथवा पिलव लकवंश ) ना ६० ज वर्ष छे" आ रीते चंद्रगुतना सने, क नो ल (ड) थई गएलो समजी जैनाए तेनो मयमा पुनः ४ वर्षनो फरक आवे छे, अने तेथी ते मविक्रम करी न्हाख्यो छे. मालवाना कार्तिकादि (कृतेषु) हावीर पछी २१५ अथवा २१९ वर्षे गादिये बेठो एम संवतना पहेला वर्षनो अने विलवना राज्यारोहणनो समय जुदो जुदी तारीखो आपवामां आवे छे. आपणे आगळ एक होवाथी, अथवा वणुं करीने तेओनो परस्पर समान- जोईशु तेम, आ तफावत शुंग समयनी शरूआत सुधी काल होवाथी, ते बन्ने एक ज होय, एम मानी लवामां बराबर करवामां आव्यो न हतो अने तेथी ते पाछळया आव्युं छे. करवामां आव्यो हशे. ७. I. ANA, Page 347. सरस्वती गच्छनी पटा- (क) मौर्योना राज्यकालना वर्षसमूहना बे विभागो वली, डॉ० होनलनी ३६० मा पृष्ठ परनी टीका. महावीरना नि- करवामां आव्या छ १०८ अने ३०. ( एकंदर १३८ वीणथी ते शक सुधी ४७० वर्ष सरखायो, LA...368.) वर्ष अने पुराण प्रमाणे १३७ ) तेमा १०८ वर्ष मौर्यभने पछी विक्रम संवत्नी शरूआत सुधी १८ वर्ष “वीरात् ४९२ वंशना के अने ३० वर्ष पुष्यमित्रना छे. बीजा शब्दोमां विक्रम जन्मान्त वर्ष २-राज्यान्न वर्ष ४" एटले के ४९२ A M. J =४ विक्रम संवत्. (पुरा थयां ) बोलीए तो पुष्यमित्रनु पहेलु वर्ष ते ज तेना छेल्ला वर्ष सरखावो, चांडना (हिन्दी) चंक्रमण (संस्कृत) सड (हिं०) सकृत् (सं.) १ I. A, II. 361; XX, 311. भड (हिं०)अक्र(सं) १० अजातशत्रु २९ भडाव (हिं० ) अक्रम (स) दरशक ३५ विलम् ( हिं. धीमे चाल)- विक्रम्. Aho! Shrutgyanam
SR No.009878
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 03 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1922
Total Pages252
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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