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________________ अंक ४] महावीर निर्वाणनो समय-विचार २०९ तरीके जणाय छे. अने बलमित्र-भानुमित्र (बलमित्र हेमचंद्राचार्यनी भूल. वंशनो भानुमित्र?) ना ६० गणी समय बराबर कों हेमचंद्राचार्ये प्रद्योतोना जे ६० वर्ष मुकी दीधा छे, के. आ गणना आपणने महावीर पछी ४१३ वर्ष सुधी ते तेमनी एक म्होटी भल छे अने ते स्पष्ट ज छ. कारण लई आवे छे. ४० वर्षनो बीजो आंकडो नहपाणना के जो आपणे शुरुआतना ते ६० वर्ष मुकी दईर तो, राज्यकाल माटे आप्यो छे." छेल्ला अंकामा १३ वर्ष चंदगत. स्थलभद्र. सभद्र अने भद्र बाहुनी समकालीनगर्दभिल्लना राज्यना छे अने ४ शकराज्यना छे. आवी .. तामां विरोध आवे छे. प्रो० जेकोबीए मध्यकालीन रीते एकंदर संख्या ४७० थाय छे. अहिंआ गाथा ओनी हेमचंद्रना आ भांग्यातुट्या अहेवालने पोतानी गणनामा गणना बंध थाय छे. ते प्रथम शकोना पराजयथी समाप्ति पाया तरीके लीधो छे. अने आम करवामां, पालीपामे छे.१२ विक्रमसंवत् अने आ गणनानो (४७० लेखोमां आपेला अशोकना अभिषेकना भूलभरेला महावीर पछी ) परस्पर संबंध मेळववा, जैनो उपर जणा- समयनी अने तेना उपर बांधेली निर्वाणकाल-गणनानी व्या प्रमाणे बच्चे १८ वर्षनो आंतरो मुके छे. १७ तेमना उपर वधारे असर थई छे. गाथा, महावीरना निर्वाणर्नु वर्ष ( १७+५८+ पाली लेखोमां आपेला समय उपर बांधली गणतरीए, ४७०= ) ई० स० पूर्वे ५४५ मुं आपे छे, के जेने र ज लेखोमां लखायली अशोकना अभिषेकनी तारीख जैनो, महावीर पछी ४७० वर्षे, विक्रम जन्म अने तेना अने पूर्वपरपराथी चालती आवेलो तवारीख वच्चे लगभग १८ मां वर्षे विक्रमराज्य प्रारंभः एम जणावे छे. ५० ६० वर्षनो तफावत मुक्यो छे. हेमचंद्राचार्यनी भूलथी महावीर कार्तिक वदी १५ ना दिवसे निर्वाण पाम्या जैन तवारीखमां पण ६० वर्ष छोडी देवामां आवेला अने विक्रमना कालिकादी संवत्नी शुरुआत थई ते वच्चे होवाथी, आ गणना-एकताए, कालगणना विषे ४७० अने १८ वर्ष पूरेपूरा पसार थई गया हतां. संकुचित दृष्टि राखना। आधुनिक अभिप्रायने मजबुत हवे आ प्रमाणे चंद्रगुप्तना राज्यारोहण- प्रथम वर्ष, बनाव्यो छे. परंतु प्रद्योतनो पुत्र पालक, के जे अजातके जे महावीर पछी २१९ वर्षे आवे ते ई० स० शत्रुनो समकालीन हतो, ते महावीर निर्वाण पछीना दिवसे पूर्वे ३२६ ना नवेबरना कोईक दिवसनी अने ई० स० अथवा वर्षे गादिये बेठो, ए मानवु स्वाभाविक अने सपूर्वे ३२५ ना आक्टोम्बर-नवेम्बरना अंतनी वच्चे आवे. . प्रमाण छ. हमचद्राचायना का रोजर प्रमाण छे. हेमचंद्राचार्यना कथन प्रमाणे, महावीर-निर्वाण जैनोना अहेवाल प्रमाणनी आ तारीख, अशोकना पछी तुरत ज नंदवंशर्नु राज्य शरू थयु ए मानतुं तद्दन शिलालेखो प्रमाणेनी तवारीख अने तेनी ग्रीसना राजा- भूलभरेलु अने अप्रमाणिक छे. आनी समकालीनता साथे बराबर मळती आवे छे." उपसंहार. उपर जे ऊहापोह करवामां आत्या छे तेनो सारार्थ ११ 'ब्राह्मण साम्राज्य ' नामना में म्हारा लेखमां नहपाणनी ए निकळे छ के-पुराणोनी गणना प्रमाणे बुद्धना निर्वाणर्नु तारीखनी चर्चा करी छे.[अने ते समय १३३-९३ B. C.छे] संवत्सर ई. स. पूर्वे ५४४ मुं वर्ष आवे छे. आ तारीखने १२ आ शकोनो पराजय सातकर्णि बीजाए को हतो...... जैन कालगणना पण पुष्टि आपे छे, अने बौद्धग्रंथ दीपज्योतिषिओनो विक्रमादित्य ते बीमो शातकर्णि छ अने जैनोनो विक्रम ते पुलु पायी छे. वंशनी अंदरथी पण एवी हकीकत मळी आवे छे के जे १३ जैम तवारीखने उजैननः तवारीख कही शकाय. ते पालक मा निर्णयनै मजबुत करे छे. अने आ बधा उपरथी ए ना राज्यथा शरू थई नहपाण सुधी आवे छे अने पछी मालब सिट थाय छ के बौद्धधर्म ओनो, तेमना धर्मसंस्थापकना संवतथी प्रारंभ थाय छे. १४ जुओ, अशेकना अभिनेक उपर म्हारो लेख..JASR निर्वाण-समय माटे वर्तमानमा जे अभिप्राय छे, ते यथार्थ धागस्ट-सप्टेंबर १९१३. ठर छ. बीजो सारार्थ एनिकळे छे, के महावीरना निर्वाण Aho! Shrutgyanam
SR No.009878
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 03 to 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1922
Total Pages252
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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