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________________ अंक डॉ. हर्मन जेकोबीनी कल्पसूत्रनी प्रस्तावना. शकीए छीए. आ काळ, अने सीलोननी काळ गणना पण ते प्रद्योत-वंशनो छे, के जे ( प्रद्योतवंश ) अनुसारे बुद्धनु निकोण, जे ई० स० पूर्वे ५४३ शैशुनाग वंशनी पहेलां थई गयो हतो. महावीरना मा वर्षमां थयुं हतुं, तेनी वच्चे मात्र १६ वर्षनोज समकालीन जे मगधना राजाओ हता ते शैशुनागतफावत रहे छे. वंशना हता. उज्जयिनी अथवा अवन्तीना राजा मह वीर-निर्वाण अने चन्द्रगुप्तना अभिषेक तरी के एक बीजा पालकनुं नाम मृच्छकटिकमां वच्चेना काळना संबन्धमां बीजी पण एक गणना जोवामां आवे छे, अने तेना माटे त्यां एवं वर्णन छे, जे हेमचन्द्रना परिशिष्ट पर्वमां मळी आवे छे. छे के आर्यके तेने राज्यभ्रष्ट कर्यो हतो. आ पालक ए ग्रन्यना, ८ .मा सर्गना, ३४१ मां श्लोकमां ते कदाचित् कथासरित्सागरमां वत्स देशना कल्पित लखेलुं छे के राजा उदयनना साळा तरीके जे पालकनुं नाम आएवं च श्रीमहावीरे मुक्ते वर्षशते गते। पेलुं छे, ते संभवी शके. परंतु, आ उदयन जेम कुपञ्चपञ्चाशदधिके चन्द्रगुप्तोऽभवन्नृपः॥ णिकना पुत्र उदायीना बदले भ्रांतिथी प्रसिद्धिमा • अने आ प्रमाणे महावीर निर्वाण पछी १५५ आव्यो संभवे छे, तेम, ए पालक पण, तेज नामना वर्षे चन्द्रगप्त राजा थयो.' प्रद्योत वंशना राजा माटे भूलथी प्रसिद्ध थयो लागे ई. स. पूर्वेना ३१२ वर्षोमां १५५ उमेर- छे. अने तेम थवाथी तेने महावीरनो समकालीन वाथी, आपणे जाईशु के महावीर निर्वाण ई० समजी लेवामां आव्यो होय एम जणाय छे. आ गमे स० पूर्वे ४६७ मां आवे छे. तेम थयुं होय, पण सत्य वात तो ए छे के जैहेमचन्द्र चन्द्रगुप्त अने निर्वाणनी वच्चे जेटलां नोनी असल काळगणनामां पालकने स्थान नज वर्षोनु अन्तर बतावे छ तेटलां वर्षों तो गाथाओ मळवू जोईए. हुं तो एम धारूं छं के सीलोननी मात्र नन्दोना राज्यनाज जणाचे छे. आ उपरथी बौद्ध, काळ-गणना साथे पोताना इतिहासने मळतो एम जणाय छे के हेमचंद्र पालकना राज्यनां ६० राखवानी खातर जैनाए तने पोतानी काळ-गणना. वर्षों गणनामा लीधा नथी. हेमचंद्र आवी रीते ६० मां दाखल करी दीधो छ, अने तेथी ते मात्र कल्पवर्षों छोडी देवा जेवी भूल कर ए मानवू कटण लागे ना-प्रसूत छे. परंपरागत महावीरनिर्वाणनी तारीख छे. तेथी हुँ एम अनुमान करूंछ के काळगणनात्मक अने हेमचन्द्रना उल्लेख उपरथी सूचवाती तारीख गाथाओमा जे परंपरागत हकिकत लखवामां आवी वच्चे जे साठ वर्षनो विरोध आवे छे, ते जोई, बौद्ध छे तेथी मिन्नज कोई संप्रदायने हेमचन्द्र अनुसर्या काळ-गणनामां मेळवी दीधेली ६६ वर्षनी असंहोवा जोईए. कारण के मारा विचार प्रमाणे गा- गतिर्नु स्मरण थाय छे; अने तेथी आपणने मानवू थोक्त हकिकत पूर्णरीते साची नथी, नन्दोनो राज्य. पडे छ के ए बन्ने भूले नी उत्पत्ति स्वतंत्र नथी काळ, जे गाथाओमा १५५ वर्ष जेटलो आपवामां पण एक-बीजानी असरथी--अनुकरणमांथीआव्यो छे ते असाधारणरीते अधिक छे, एटलंज थएली होवी जोईए. तामिल-देशमां जैनो केटली नहीं, परंतु मगधना राजवंशोनी गणनामां अवन्तीपति मोटी संख्यावाळा अने शक्तिसंपन्न हता ते पालकनुं नाम आवq ते मने तो घगुंज संशयजनक आपणे जाणीए छीए; अने तामिल-भाषाना प्रा. लागे छे. बौद्धो अथवा ब्राह्मगो आ नामना राजानो चीन साहित्य उपर जैन धर्मनी केटली बधी छाप बिल्कुल निर्देश करता नथी. मगधनी राजावलीमां पडी हती, ते ग्रौल ( Graul ) अने केल्डवेल पालक नामना एक राजानो उल्लेख मळे छ खरो, ( Caldwell ) ना जणाव्या प्रमाणे जाणी शकाय Aho! Shrutgyanam
SR No.009877
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1922
Total Pages274
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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