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________________ जैन साहित्य संशोधक [ भाग १ आ उपरथी एवी संभावना उभी थाय छे के दिगम्ब- पण तेमनं मूळ चोकस जणातु नथी. आ गाथाओ रोनो विक्रम संवत् ते शालिवाहननो शक छे. का. वीर अने विक्रम संवत् वच्चेना निकाल, अने रण के शालिवाहननो हमेशा जुना विक्रम साथे प्राचीन कालगणनाना आधार रूप बने छे. उपरोक्त सेळभेळ थई जाय छे. श्वेताम्बरो विक्रम संवत् ई. गाथाओना अनुसार मौर्यवंशना राज्यना प्रारंभश्री स. पूर्व ५७ वर्षे शरु थयो, एम माने छे. महावीर ते विक्रम संवत्ना प्रारंभ सुधी व्यतीत थएली वर्षनिर्वाण अने विक्रम संवत् वच्चेना ४७० वर्षना संख्या २९५ थाय छ. अर्थात् ४+१३+१+ अंतर संबंधी हकिकत श्वेताम्बरोना घणा ग्रंथोमा ६०+३०+१०८. आमां विक्रम संवत् अंने मळी आवे छे. एनुं प्राचीनतम प्रमाण-मेरुतुङ्गनी निस्ति सननी शरुआतनी वच्चेना १७ वर्ष उमेर'विचारश्रेणि' ना पायाभूत, नीचे आपेली स्मारक वाथी चन्द्रगुप्तना अभिषेकनो काळ ई. स. पूर्व गाथाओ छ. ए गाथाओमां महावीर निर्वाण अने ३१२ वर्षे आवे छे. आ रीते ग्रीक प्रमाणो द्वारा विक्रमादित्य राजानी वच्चना अंतरमा जे जे राजवं. मळी आवती तारीख साथे, आ तारीखनी एकता शोए जेटलां जेटलां वर्षों सुधी राज्य कर्यु तेमनी थई जाय छ; अने तेथी ए पण सिद्ध थई जाय छ नोंध आपेली छे. ते गाथाओ हं अहीं टांकु छु,- के त्रीजी गाथामां जणावलो विक्रम (?) ते ई. स. अने तेमनी साथे तेमना प्रथम प्रकाशक डॉ. बुल्हरे पूर्वे ५७ वर्षमां शरुथएला संवत् युगना संस्थापकना करेली टिप्पणी ( Indian Antiquur's II. 362.) वाचक छे, नहीं के ई.स. ७८ मां शरु थता शकउमेरूं छु. युगना प्रवर्तकनो नामदर्शक. जो आम न मानीजं रयणिं कालगओ अरिहा तित्थंकरो महावीर । ए तो चंद्रगुप्तना अभिषेकनो काळ ई. स. पूर्व १७७ तं रयणिं अवंतिवई अहिसित्तो पालगोराया।। वर्ष आवे'. सही पालगरण्णो पणवण्णसयं तु होइ नंदाण। ६० वर्षनुं पालकनु राज्य अंने १५५ वर्षांनु अहसयं मुरियाणं तीसं चित्र प्रसमित्तस्स ।२। नव-नन्दानु शासनबन्ने--मळीने कुल २१५ वर्ष बलमित्त भानमित्ता सही वरिसाणचत्त नहबहणे। प्रमाण चन्द्रगुप्त अने निवोण वचनो काळ छे. हवे तह गदभिल्लरज्जं तेरसवरिसा सगस्स चउ ।३। ई० स० पूर्वेना ३१२ वर्षांमां, आ २१५ उमेर १ जे रात्रे अर्हत तीर्थकर महावीर निर्वाण पाम्या, वाथी, आपणे इ० स० पूर्व २७ मा वर्षने महातेज रात्रे अवन्तीपति पालकनो राज्याभिषेक थयो. वीर निवोणना नामांकित काळ तरीके प्राप्त करी ___ २ पालक राजानुं राज्य ६० वर्ष सुधी रा. पछी १५५ वर्षसुधी नन्दोए राज्य कर्य. तेन। बाद १०८ १ हुं नीचेनी बाबत उपर ध्यान खेचु छु के चंद्रगुप्तना अभिषेकनो आ काळ ते सेल्यसीडनना सननी आरंभ साथे बंध बेसतो आवे छे. मि. एडवर्ड टोमस माने छ के राज्य रा. ( Records of the Gupta Dynasty in ३ बादमां ६० वर्ष बलमित्र अने भानमित्रे राज्य- India p. 17, 18. ) सेल्युसिडनसने कर्यु. अने तेमनी पछी ४० वर्ष नभोवाहन राजाए र लांबा वखत सुधी उत्तर हिंदुस्थानमा पो. तान स्थान टकावी रान्युं हंतु, अने पीनी राजवंशावळीनी काळगणनात्मक नोंधो उपर घणी असर करी हती. मि. टोमसना सिद्धांतनी सत्यता जो प्रत्यक्ष प्रमाणथी साबीत आ गाथाओनो उल्लेख घणीक टीकाओमां थाय तो चन्द्रगुप्तना अभिषेकनी जैन तारीख, जे लगभग साची छे, तेमां सहज गुंचवाडो उभी करती आ हकिकतनो तथा कालगणना-विषयक घणा ग्रंथोमां थएलो छे. सहेलाईथी खलासो आपी शकाय, Aho! Shrutgyanam
SR No.009877
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 01 to 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year1922
Total Pages274
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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