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________________ जीवाजीवाभिगम-३/मनुष्य/१४५ और जो समस्त इन्द्रियों को और शरीर को आनन्ददायक होता है, उन पुष्प-फलों का स्वाद उससे भी अधिक इष्टतर, कान्ततर, प्रियतर, मनोज्ञतर और मनामतर होता है । - हे भगवन् ! उक्त प्रकार के आहार का उपभोग करके वे कैसे निवासों में रहते हैं ? आयुष्मन् गौतम ! वे गेहाकार परिणत वृक्षों में रहते हैं । भगवन् ! उन वृक्षों का आकार कैसा होता है ? गौतम ! वे पर्वत के शिखर, नाट्यशाला, छत्र, ध्वजा, स्तूप, तोरण, गोपुर, वेदिका, चोप्याल, अट्टालिका, राजमहल, हवेली, गवाक्ष, जल-प्रासाद, वल्लभी इन सबके आकाखाले है। तथा हे आयुष्मन् श्रमण ! और भी वहाँ वृक्ष हैं जो विविध भवनों, शयनों, आसनों आदि के विशिष्ट आकारवाले और सुखरूप शीतल छाया वाले हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में घर और मार्ग हैं क्या ? हे गौतम ! यह अर्थ समर्थित नहीं है । हे आयुष्मन् श्रमण ! वे मनुष्य गृहाकार बने हुए वृक्षों पर रहते हैं । भगवन् ! एकोरुक द्वीप में ग्राम, नगर यावत् सन्निवेश हैं ? हे आयुष्मन् श्रमण ! वहाँ ग्राम आदि नहीं हैं । वे मनुष्य इच्छानुसार गमन करने वाले हैं । भगवन् ! एकोरुक द्वीप में असि, मषि, कृषि, पण्य और वाणिज्य-व्यापार है ? आयुष्मन् श्रमण ! ये वहाँ नहीं हैं । भगवन ! एकोरुक द्वीप में हिरण्य, स्वर्ण, कांसी, वस्त्र, मणि, मोती तथा विपुल धनसोना स्त्न मणि, मोती शख, शिला प्रवाल आदि प्रधान द्रव्य हैं ? हाँ गौतम ! हैं परन्तु उन मनुष्यों को उनमें तीव्र ममत्वभाव नहीं होता है । भगवन् ! एकोरुक द्वीप में राजा, युवराज, ईश्वर, तलवर, मांडविक, कौटुम्बिक, इभ्य, सेठ, सेनापति, सार्थवाह आदि हैं क्या ? आयुष्मन् श्रमण ! ये सब वहाँ नहीं हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में दास, प्रेष्य, शिष्य, वेतनभोगी भृत्य, भागीदार, कर्मचारी हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! ये सब वहाँ नहीं हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में माता, पिता, भाई, बहिन, भार्या, पुत्र, पुत्री और पुत्रवधू हैं क्या ? हाँ गौतम ! हैं परन्तु उनका माता-पितादि में तीव्र प्रेमबन्धन नहीं होता है । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में अरि, वैरी, घातक, वधक, प्रत्यनीक, प्रत्यमित्र हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! ये सब वहाँ नहीं हैं । वे मनुष्य वैरभाव से रहित होते हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में मित्र, वयस्य, प्रेमी, सखा, सुहृद, महाभाग और सांगतिक हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! नहीं हैं । वे मनुष्य प्रेमानुबन्ध रहित हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में आबाह, विवाह, यज्ञ, श्राद्ध, स्थालीपाक, चोलोपनयन, सीमन्तोपनयन, पितरों को पिण्डदान आदि संस्कार हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! ये संस्कार वहाँ नहीं हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में इन्द्रमहोत्सव, स्कंद महोत्सव, रुद्र महोत्सव, शिवमहोत्सव, वेश्रमण महोत्सव, मुकुन्द महोत्सव, नाग, यक्ष, भूत, कूप, तालाब, नदी, द्रह, पर्वत, वृक्षारोपण, चैत्य और स्तूप महोत्सव होते हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! वहाँ ये महोत्सव नहीं होते । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में नटों का खेल होता है, नृत्यों का आयोजन होता है, डोरी पर खेलने वालों का खेल होता है, कुश्तियाँ होती हैं, मुष्टिप्रहारादि का प्रदर्शन होता है, विदूषकों, कथाकारों, उछलकूद करने वालों, शुभाशुभ फल कहने वालों, रास गाने वालों, बाँस पर चढ़कर नाचने वालों, चित्रफलक हाथ में लेकर माँगने वालों, तूणा बजाने वालों, वीणावादकों, कावड लेकर घूमने वालों, स्तुतिपाठकों का मेला लगता है क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । वे मनुष्य कौतूहल से रहित होते हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में गाड़ी,
SR No.009785
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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