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________________ आगमसूत्र - हिन्दी अनुवाद रथ, यान, युग्य, गिल्ली, थिल्ली, पिपिल्ली, प्रवहण, शिबिका, स्यन्दमानिका आदि वाहन हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! वहाँ उक्त वाहन नहीं हैं । वे मनुष्य पैदल चलने वाले हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में घोड़ा, हाथी, ऊँट, बैल, भैंस-भैंसा, गधा, टूट्टू, बकराबकरी और भेड़ होते हैं क्या ? हाँ गौतम ! होते तो परन्तु उन मनुष्यों के उपभोग के लिए नहीं होते । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में सिंह, व्याघ्र, भेडिया, चीता, रींछ, गेंडा, तरक्ष बिल्ली, सियाल, कुत्ता, सूअर, लोमड़ी, खरगोश, चित्तल और चिल्लक हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! पशु हैं परन्तु वे परस्पर या वहाँ के मनुष्यों को पीडा या बाधा नहीं देते हैं और स्वभाव से भद्रिक होते हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में शालि, व्रीहि, गेहूं, जौ, तिल और इक्षु होते हैं क्या ? हाँ गौतम ! होते हैं किन्तु उन पुरुषों के उपभोग में नहीं आते । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में गड्ढे, बिल, दरारें, भृगु, अवपात, विषमस्थान, कीचड, धूल, रज, पंककीचड़ कादव और चलनी आदि हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! नहीं है । भू-भाग बहुत समतल और रमणीय है । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में स्थाणु, काँटे, हीरक, कंकर, तृण का कचरा, पत्तों का कचरा, अशुचि, सडांध, दुर्गन्ध और अपवित्र पदार्थ हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! नहीं हैं । ७० हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में डांस, मच्छर, पिस्सू, जूं, लीख, माकण आदि हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! यह अर्थ समर्थ नहीं है । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में सर्प, अजगर और महोरग हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! वे हैं तो सही परन्तु परस्पर या वहाँ के लोगों को बाधा-पीड़ा नहीं पहुँचाते हैं, वे स्वभाव से ही भद्रिक होते हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में (अनिष्टसूचक) दण्डाकार ग्रहसमुदाय, मूसलाकार ग्रहसमुदाय, ग्रहों के संचार की ध्वनि, ग्रहयुद्ध, ग्रहसंघाटक, ग्रहापसव, मेघों का उत्पन्न होना, वृक्षाकार मेघों का होना, सध्यालानीले बादलों का परिणमन, गन्धर्वनगर, गर्जना, बिजली चमकना, उल्कापात, दिग्दाह, निर्घात, धूलि बरसना, यूपक, यक्षादीप्त, धूमिका, महिका, रज उद्घात, चन्द्रग्रहण, सूर्यग्रहण चन्द्र के आसपास मण्डल का होना, सूर्य के आसपास मण्डल का होना, दो चन्द्रों का दिखा, दो सूर्यो का दिखना, इन्द्रधनुष, उदकमत्स्य, अमोघ कपिहसित, पूर्ववात, पश्चिमवात यावत् शुद्धवात, ग्रामदाह, नगरदाह यावत् सन्निवेशदाह, ( इनसे होने वाले) प्राणियों का क्षय, जनक्षय, कुलक्षय, धनक्षय आदि दुःख और अनार्य-उत्पात आदि वहाँ होते हैं क्या ? हे गौतम! उक्त सब उपद्रव वहाँ नहीं होते हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में डिंभ, डमर, कलह, आर्तनाद, मात्सर्य, वैर, विरोधीराज्य आदि हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! ये सब नहीं हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में महायुद्ध महासंग्राम महाशस्त्रों का निपात, महापुरुषों के बाण, महारुधिरबाण, नागबाण, आकाशबाण, तामस बाण आदि हैं क्या ? हे आयुष्मन् श्रमण ! ये सब वहाँ नहीं हैं । क्योंकि वहाँ के मनुष्य वैरानुबंध से रहित होते हैं । हे भगवन् ! एकोरुक द्वीप में दुर्भूतिक, कुलक्रमागतरोग, ग्रामरोग, नगररोग, मंडल रोग, शिरोवेदना, आंखवेदना, कानवेदना, नाकवेदना, दांतवेदना, नखवेदना, खांसी, श्वास, ज्वर, दाह, खुजली, दाद, कोढ, डमरुवात, जलोदर, अर्श, अजीर्ण, भगंदर, इन्द्र के आवेश से होने वाला रोग, स्कन्दग्रह, कुमारग्रह, नागग्रह, यक्षग्रह, भूतग्रह, उद्वेगग्रह, धनुग्रह, एकान्तर ज्वर, यावत् चार दिन छोड़कर आने वाला ज्वर, हृदयशूल,
SR No.009785
Book TitleAgam Sutra Hindi Anuvad Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Aradhana Kendra
Publication Year2001
Total Pages241
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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