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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३४ www.kobatirth.org - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२६२) हीणा वा अहिया वा जे खलु सर-सत्त-सारपरिहीणा ते उत्तमपुरिसाणं अवसा पेसत्तमणुर्वेति अनुभोगाराई (२५२) ||१८|| 88 (२६३) एएणं अंगुलप्पमाणएणं छ अंगुलाई पाओ दो पाया विहत्थी दो विहत्थीओ रयणी दो रयणीओ कुच्छी दो कुच्छीओ दंडं धणू जुगे नालिया अक्खे मुसले दो धणुसहस्साई गाउयं चत्तारि गाउयाई जोयणं एएणं आयंगुलप्पमाणेणं कि पओयणं एएणं आयंगुलप्पमाणेणं-जेणं जया मणुस्सा भवंति तेसि णं तया अप्पणी अंगुलेणं अगड-तलाग- दह-नदी-वावी-पुक्खरिणीदीहिया - गुंजालियाओ सरा सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ बिलपंतियाओ आरामुञ्जाण-काणणवणवणसंड-चणराईओ देवकुल सभा - पवा-यूभ खाइय-परिहाओ पागार अट्टालय-चरिय-दार - गोपुर पासाय- घर-सरण-लेण-आवण- सिंघाड़ग-तिग- चउक्क चच्चर- चउम्मुह महापह-यहसगड-जाण - जुग्ग- गिल्लि थिल्लि -सीय - संदमणियाओ लोही- लोहकडाड- कडुच्छ्रय- आसण-सयणखंभ-भंड-मत्तोवगरणमाईणि अज्जकालियाई च जोयणाई भविवंति से समासओ तिविहे० सूइ'अंगुले पयरंगुले घणंगुले अंगुलायया एगपएसिया सेढी सूईअंगुले सूई सूईए गुणिया पयरंगुले पयरं सूईए गुणितं धणंगुले एएसि णं भंते सूईअंगुल-पयरंगुल-धणंगुलाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पे घा बहुए चा तुल्ले वा विसेसाहिए वा सव्वत्थोवे सूईअंगुले पयरंगुले असंखेज्जगुणे धणंगुले असंखेज्जगुणे सेतं आयंगुले से किं तं उस्सेहंगुले उस्सेहंगुले अणेगविहे पन्नत्ते ।१३३-३1-133-3 ( २६४) परमाणू तसरेणू रहरेणू अग्गयं च बालस्स · लिक्खा जूया य जवो अट्ठगुणविवड्ढिया कमसो 118811-09 (२६५) से किं तं परमाणू परमाणू दुविहे पत्रत्ते तं जहा सुहुमे य वावहारिए य तत्थ सुहुमो ठप्पो से किं तं वावहारिए वावहारिए - अनंताणं सुहुमपरमाणुपोग्गलाणं समुदय समिति-समागमेणं से एगे बाबहारिए परमाणुपोग्गले निष्फइ से णं भंते असिधारं वा खुरधारं वा ओगाहेजा हंता ओगाहेजा से णं तत्य छिज्जेज वा भिजेज वा नो इणमट्ठे सपट्ठे नो खलु तत्थ सत्यं कमइ से णं भंते अगणिकायस्स मज्झंमज्झेणं वीइवएज्जा हंता बीइवएज्जा से णं तत्थ उहेजा नो इणमट्ठे समते नो खलु तत् सत्यं कम से णं भंते पोक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झंमज्झेणं बीइवएञ्जा हंता वीइ एजा से णं तत्त उदउल्लेसिया नो इणमट्ठे समट्टे नो खलु तत्य सत्यं कमइ से णं भंते गंगाए महानईए पडिसोयं हव्यमागच्छेज्ञा इंता हव्यमागच्छेजा से णं तत्य विणिधायमायज्ज्रेज्जा नो इणमठ्ठे समझे नी खलु तत्थ सत्यं कमइ से णं मंते उदगावत्तं वा उदगबिंदु वा ओगाहेजा हंता ओगाहेजा से णं तत्व कुच्छेज वा परियावज्रेज वा नो खलु तत्थ सत्यं कमइ । १३३-४ (-133-4 (२६६) सत्येण सुतिक्खेण वि छेत्तुं मेत्तुं च जं किर न सक्का तं परमाणु सिद्धा वयंति आई पमाणाणं For Private And Personal Use Only 11900||-100 (२६७) अनंताणं वावहारियपरमाणुपोग्गलाणं समुदय समिति-समागमेणं सा एगा उसण्ह-सहिया इ वा सहसन्हिया इ वा उड्ढरेणू इ था तसरेणू इ वा रहरेणू इ वा अट्ठ उसण्हसहियाओ सा एगा सहसण्डिया अट्ठ सण्हसहियाओ सा एगा उड्ढरेणू अट्ठ उड्ढरेणूओ साएगा तसरेणू अड तसरेणूओ सा एगा रहरेणू अँड रहरेणूओ देवकुरु- उत्तरकुरुगाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे अट्ठ देवकुरु - उत्तरकुरुगाणं मणुस्साणं से एगे बालग्गे अड्ड देवकुरु -उत्तरकुरुगाणं मस्साणं वालग्गा हरिवास-रम्मगवासाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे अट्ट हरिवास - रम्मगवासाणं
SR No.009775
Book TitleAgam 45 Anuogdaram Chulikasutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 45, & agam_anuyogdwar
File Size2 MB
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