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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुओपारा - (१००) विसेसाहियाइं आणुपुब्बिदब्वाई पएसट्टयाए अनंतगुणाई दव्यठ्ठ-पएसट्टयाए-सम्बत्योबाइं नेगमपवहाराणं अवत्तव्यगदव्दाई दबट्ठयाए अणाणुपुब्बिदव्वाइं दबट्टयाए अपएसहयाए विसेसाहि याई अवत्तबगदम्बाई पएसट्टयाए विसेसाहियाई आणुपुग्विदव्वाई दव्वट्ठयाए असंखेनगुणाई ताइंचेवपएसट्टयाए अनंतगुणाई से तं अनुगमे से तं नेगम-ववहाराणं अनोवणिहिया दव्वाणुपुच्ची ८९1-89 (१०१) से किं तं संगहस्स अनोवणिहिया दव्याणुपुष्यी संगहस्स अनोवणिहिया दव्याणुपुली पंचविहा पचत्ता तं जहा-अनुपयपलवणया भंगसमुक्कित्तणया भंगोवदंसणया समोयारे अनुगमे ।९०1-90 (१०२) से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया संगहस्स अट्ठपयपरूवणया-तिपएसिया आणुपुब्बी चउपएसिपाआणुपुब्बी जाव दप्तपएसियाआणुपुयी संखेजपएसियाआणुपुच्ची असंखेजपएसियाआणुपुब्बी अनंतपएसियाआणुपुच्ची परमाणुपोग्गलाअणाणुपुयी दुपएसिया अवतबए से तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया।९9191 (10३) एयाए णं संगहस्स अनुपयपरूवणयाए कि पओयणं एयाए णं संगहस्स अट्ठपयपलवणयाए भंगसमुक्कितणया कीरइ से किं तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया-अत्यि आणुपुथ्वी अस्थि अणाणुपुब्बी अस्थि अवत्तब्बए अहवा अस्थि आणुपुच्चीय अणाणुएबीय अहवा अथिआणुपुब्बीय अवत्तब्बए य अहवा अत्यि अणाणुपुच्ची य अवत्तव्यए य अहवा अत्यि आणुपुव्वी य अणाणुपुयी य अवतव्बए य एवं एए सत्तं भंगा से तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया एपाए णं संगहस्स भंगसमुकिकत्तणयाए किं पोपणं एयाए णं संगहस्स मंगसमुक्कित्तणयाए भगोवदंसणया कीरइ १९२192 (१०४) से किं तं संगहस्स मंगोवदंसणया संगहस्स भंगोवदंसणया-तिपएप्सिया आणुपुब्बी परमाणुपोग्गलाअणाणुपुबी दुपएसियाअयत्तव्यए अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य आणुपुव्वी य अणाणुपुयी प अहवा तिपएसिया य दुपएसिया य आणुपुब्बी प अवत्तव्यए य अहवा परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य अणाणुपुब्बी य अवत्तव्यए य अहवा तिपएसिया य परमाणुपोग्गला य दुपएसिया य आणुपुब्बी य अणाणुपुव्यी य अवतव्यए य एवं एए सत भंगा से संसंगहस्स मंगोवदंसगया।९३183 (१.५) से किं तं संगइस समोपारे समीयारे-संगहस्स आणुपुब्बिदव्वाइं कहि समोयरंति किं आणुपुविदव्येहिं समोयरंति अणाणुपुव्यिदव्येहिं समोयरंति अवत्तव्यग दब्वेहिं समोयरंति, संगहस्स आणुपुब्बि दब्याई आणुपुल्विदव्वेहि समोयरंति नो अणाणुपुब्बिदव्वेहि समोयरं नो अवत्तव्यगदव्येहि समोयरंति एवं दोणि विसष्ट्ठाणे समोयरंति सेतंसमोयारे।९४१-94 (१०६) से किंतं अनुगमे अनुगमे अट्ठबिहे पन्नत्तेतंजहा।९५-१।। (१०७) संतपयपरूवणया दब्बपमाणंचखेत फुसणाय ___ कालो य अंतरं भाग भाव अप्पाहुंनत्यि ॥२॥-9 (१०८) संगहस्स आणुपुविदव्याइं किं अस्वि नत्यि नियमा अत्यि एवं दोणि वि संगहस्स आणुपुग्विदव्वाई किं संखेलाई असंखेजाइं अनंताई नो संखेज्जाई नो असंखेनाइं नो अनंताई नियमा एगो पसी एवं दोणि वि संगहस्स आणुपुब्विदम्बाई लोगस्स कति मागे होला-कि संखेजइमागे घेजा असंखेजइमागे होना संखेनेसु पागेसु होला असंखे सुपागेसु होझासव्वलोए For Private And Personal Use Only
SR No.009775
Book TitleAgam 45 Anuogdaram Chulikasutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 45, & agam_anuyogdwar
File Size2 MB
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