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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पय-२२ १५९ किरिया कजति तं समयं परिग्गहिया किरिया कज्जति एवं एते जस्स जं समयं जं देसं जं पदेसं णंचारि दंडगा नेयव्या जहा नेरइयाणं तहा सव्वदेवागं नेयव्वं जाव वेमाणियाणं । २८५।-284 (५३१) अत्थि णं मंते जीवाणं पाणाइवायवेरमणे कज्जति हंता अत्थि कम्हि णं भंते जीवाणं पाणाइवायवेरमणे कजति गोयमा छसु जीवनिकाएसु अस्थि णं भंते नेरइयाणं पाणाइयाणं पाणाइवायवेरमणे कजति गोयमा नी इणट्टे समट्टे एवं जाव वैमाणियाणं नवरं मणूसाणं जहा जीवाणं एवं मुसावाएणं जाव मायामोसेणं जीवस्स य मणूस्त य सेसाणं नो इणडे समझे नवरंअदिन्नादाणे गहण - धारणिज्जेसु दव्वेसु मेहुणे रूवेसु वा रुवसहगएसु वा दव्येसु सेसाणं सव्वदव्वेसु अस्थि णं भंते जीवाणं मिच्छादंसणसल्लवेरमणे कति हंता अस्थि कम्हि णं भंते जीवाणं मिच्छादंसणसल्लवेरमणे कज्जइ गोयमा सव्वदव्वेसु एवं नेरइयाणं जाव वेमामियाणं नवरं- एगिंदियविगलिंदियाणं नो इट्टे समट्टे । २८६/- 285 (५३२) पाणाइदायविरए णं भंते जीवे कति कम्मपगडीओ बंधति गोचमा सत्तविहबंधए वा अट्टविहबंधए वा छव्विहबंधए वा एगविहबंधए वा अबंधए वा एवं मणूसे वि भाणियव्वे पाणाइवायविरया णं भंते जीवा कति कम्पपगडीओ बंधंति गोयमा सव्वे वि ताव होज्जा सत्तविहबंधगाव एगविहबंधगाय अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधना अट्ठविहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छच्चिहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छहव्विहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य एवहबंधगाय अबंघगा य अहवा सत्तविहवंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंधगे य छच्चिहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्टविहबंध य छव्विहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अडविहबंधगा य छव्विहबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगाय अट्ठविरुबंधगा य छव्विहबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अविहबंध य अबंध य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधने य अबंधगाय अहया सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अडविहबंधगा य अबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगाय अड्डविधे य अबंधगे अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगे य अबंधगाय अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगा य अबंधए य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य छव्विहबंधगा य अबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविबंधगाय अविबंध य छव्विहबंधगे य अबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अविहबंध य छव्विहबंधगे य अबंधमा य अहदा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अवचिहबंध य छविबंधगा य अबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविरुबंधगे य छविबंधगाय अबंधगा य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अडविहबंधगा य छव्विहबंध य अबंध य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगे य अबंधगाय अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य अबंधगे य अहवा सत्तविहबंधगा य एगविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा य छव्विहबंधगा य अबंधगा य एते अट्ठ भंगा सव्वे वि मिलिया सत्तावीसं भंगा भवंति एवं मणूसाण दि एत्ते चैव सत्तावीसं मंगा भाणियव्या, एवं मुसावायविरयस्स जाव मायामोसविरयस्स जीवस्स य मणूसस्स य मिच्छादंसणसल्लविरए जं भंते जीवे कति कम्मपगडीओ बंधति गोयमा सत्तविहबंधए वा अट्ठविहबंधए वा एगविहबंधए या For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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