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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - - - ११r पन्नवणा - 14/RH दबिदिया पन्नत्ता तं जहा-दो नेता दो धाणा जीहा फासे सेसाणं जड़ा नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं एपमेगस्स णं मंते नेरइयस्स केवतिया पबिंदिया अतीता गोयमा, अनंता केवतिया पद्धेलगा गोयपा अट्ठ केवतिया पुरेक्खडा गोयमा अट्ट वा सोलस्स या सत्तरस या संखेशा वा असंखेजा वा अनंता या, एगमेगस्स णं मंते असुरकुमारस्स केवतिया दबिंदिया अतीता, गोयपा अनंता केवतिया वद्धलगा गोयमा अट्ट, केवतिया पुरेक्खडागोयमा अट्ट वा नवया संखेन वा असंखेशया अनंता वा एवं जाद पणियकुमाराणं ताव माणियव्यं, एवं पुदविक्काइय-आउक्काइयवणस्सइकाइयस्स वि नवरं-केवतिया बद्धलग त्ति पुच्छए उत्तरं एक्कं फासिंदियं पन्नत्तं एवं तेउकाइय-चाउकाइयस्स वि नवा-पुरेक्खडा नव वा दस वा, एवं बेइंदियाण वि नवरंबद्धेलगपुच्छाए दोण्णि एवं तेइंदियस्स वि नवां-बद्धेल्लगा चत्तारि एवं चुउरिदियस्स वि नवरं बद्धेल्गा छ पंचेंदियतिरिक्खजोणिय-मणूस-वाणमंतर-जोइसिय-सोहम्मीसाणगदेवस्स जहा असुरकुमारस्स नवरं-मणूसस्सपुरेक्खडाकस्सइअत्यिकस्सइनथिजस्सत्थि अहया नव वासंखेजाया असंखेशा वा अनंता वा, सणंकुमारा-माहिद-जाव-आणय-पाणय-आरण-अञ्चयगेवेनगदेवस्स य जहा नेरइयस्स, एपमेगस्स णं भंते विजय-जयंत-जयंत-अपराजियदेवस्स केवतिया पविदिया अतीता गोयमा अनंता, केवतिया बद्धलगा गोयमा अट्ठा, केवतिया पुरेक्खडा गोयमा अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेज्जा वा सव्वइसिद्धगदेवस्स अतीता अनंता बद्धलगा अट्ट पुरेक्खडा अट्ठ, नेरइयाणं मंते केवतिया दबिंदिया अतीता गोयमा अनंता, बद्धोलगा पोयमा असंखेजा केवतिया पुरेक्खडा गोयमा अनंता एवं जाव गेवेजगदेवाणं नवरंमणूसाणं बद्धेल्लगा सिय संखेना सिय असंखेजा, विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियदेवाणं पुछा गोयमा अतीता अनंता बहेलगा असंखेजा पुरेक्खडा असंखेजा, सव्वद्वसिद्धगदेवाणं पुच्छा गोयमा अतीता अनंताबद्धेल्लगासंखेजा पुरेक्खडासंखेजा एगमेगस्स णं मंते नेरइयस्स नेइअते केवतिया दबिंदिया अतीता गोयमा अनंता केवतियाबद्धलगा गोयमा अट्ट केवतियापुरेक्खडागोयमा कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्यिजस्सत्थि अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेजा वा असंखेजा वा अनंता वा, एगमेगस्स णं मंते नेरदयस्स असुरकुमारते केवतिया दबिंदिया अतीता गोयमा अनंता केवतियाबद्धेश्लगा गोयमा नत्यि केवतियापुरेक्खडा गोयमा कस्सइ अस्थि कस्सइ नत्यि जस्सत्यि अह वा जाव अनंता वा एवं जाव पणियकुमारते, एगमेगस्स णं भंते नेरइयस्स पुटविकाइयत्ते केवतिया दचिदिया अतीता गोयमा अनंता केवतियाबद्धेल्लगा गोयमा नत्यि केवतिया पुरेक्खडा गोयमा कस्सइ अत्यि कस्सइ नत्यि जस्सत्यिएकको वादो वा तिष्णि वासंखेज्जा वाअसंखेजा या अनंता वाएवंजाव वणप्फइकाइयत्ते, एपमेगस्स णं मंते नेरइयस्स बेइंदियत्ते केदत्तिया दबिदिया अतीता गोयमा अनंता केवतियाबद्धलगा गोयमा नत्यि केवतिया पुरेक्खडा गोयमा कस्सइ अत्यि कस्सइ नत्यि जस्सत्यि दो या चत्तारि वा छ वा संखेशा वा असंखेजा वा अनंता वा एवं तेइंदियते विनवरं-पुरेक्खडा चत्तारिया अट्ठ वा बारस वा संखेजा वा असंखेशा वा अनंता वा एवं चउरिदियत्ते विनवरं-पोचउखडा छ वा बारस या अष्ट्ठारस वा संखेज्जा वा असंखेना वा अनंता वा पंचेदियतिरिक्खजोणियत्ते जहा असुरकुमारत्ते, मणसत्ते वि एवं चेव नवरं-केवतियापुरेक्खडा गोयमा अट्ट वा सोलस वा चउवीसा वा संखेजा या असंखेना या अनंता वा सव्वेसि मणूसवाणं पुरेक्खडा मणूसत्ते कस्सइ अस्थि For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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