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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०८ पन्नवणा - १४/-1409 ॥२०१11-1 ||२०२||-2 जहा कोहेणं जाव लोभेणं एवं नेरइया जाव वैमाणिया, जीवा णं पते कतिहिं ठाणेहिं अट्ठ कम्मपगडीओ उवचिणिंसु गोयमा चर्हि ठाणेहि० तं जहा कोहेणं जाव लोमेणं एवं नेरइया जाव वेमाणिया जीवाणं मंते पुच्छा गोयमा चउहि ठाणेहि उवचिणंति कोहेणं जाव लोमेणं एवं नेरइया जाय वेमाणियाएवं उवचिणिस्संति,जीवाणं मंते कतिहिं ठाणेहिं अg कम्मपगडीओबंधिसुंगोयमा चउहि ठाणेहिं तं जहा-कोहेणं जाव लोमेणं एवं नेरइया जाव वेमाणिया बंधेसु बंधति बंधिस्संति उदीरेंसुउदीरंति उदीरिस्संति वेइंसु वैएंति वेइस्संति निज़रेंसुनिज्जरंति निज़रिस्तंति एवं एते जीवाइ'या वेमाणियपञ्जवसाणा अट्ठारसदंडगाजाव वेमाणिया निजरिंसु-३ (१९०190 (४१८) आयपइडिय खेत्तं पडुम्रनंताणुबंधि आभोगे चिण उवचिण बंध उईर धैय तह निजरा चैव घोसम पप समतं. | पनरसमं इंदियपयं -: पट मो-उहे सो :(४१९) संठाणं याहाहं पोहत्तं कतिपएस ओगाढे । अप्पाबहु पुट्ठ पविट्ट विप्सय अणगार आहारे (४२०) अद्दाय असी मणी उडुपाणे तेल्ल फाणिय वसाय कंबल थूणा थिागल दीयोदहि लोगलोगे य ॥२०३।। (४२१) कति णं भंते इंदिया पन्नत्ता गोयमा पंच इंदिया पनत्ता तं जहा-सोइंदिए चखिदि धाणिदिए जिभिदिए फासिदिए, सोइंदिए णं मंते किंसंठिए पनत्ते गोयमा कलंबुयापुप्फसंटाणसंठिए पन्नत्ते चक्खिदिए पुच्छा गोपमा मसूरचंदसंठाणसंठिए पनत्ते धाणिदिए णं पुच्छा गोयमा अइमुत्तगचंदसंठाणसंठिए पन्नत्ते जिटिभदिए णं पुच्छा गोयमा खुरप्पसंठाणसंठिए पत्रत्ते फाप्तिदिए णं पुच्छा गोयमा नानासंठाणसंठिए, सोइंदिए णं मंते केवत्तियं बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयमा अंगुलस्स असंखेनतिभागं बाहल्लेणं पनत्ते एवं जाव फासिंदिए, सोइंदिए णं मंते केवतियं पोहत्तेणं पन्नते गोयमा अंगुलस्स असंखेजति भागं पोहत्तेणं पत्रत्ते एवं चविखदिए विधाणिदिए वि जिभिदिए णं पुच्छा गोवमा अंगुलपुहत्तं पोहत्तेणं पन्नत्ते, फार्सिदिए णं पुच्छा गोयमा सरीरपमाणमेत्ते पोहत्तेणं पत्रत्तेसोइंदिए गंभंते कतिपएसिए पत्रत्तेगोयमाअनंतपएसिए, एवंजाब फासिदिए।१९१४-191 (४२२) सोइंदिएणंभंते कतिपएसोगाढे पत्रत्ते गोयमा असंखेजपएसोगाढे पन्नत्तेएवंजाव फासिदिए, एएसि णं भंते सोइंदिय-चक्खिदिय-धाणिदिय-जिब्भिदिय-फासिंदियाण ओगाहणट्ठयाए पएसट्टयाए ओगाहण-पएसट्टयाए कतरे कतरेहिती अप्पा वा बहुया या तुल्ला वा विसेसाहिया वा गोयमा सव्वत्योवा चक्खिदिए ओगाहणट्टयाए, सोइंदिए ओहगाहणट्टयाएसंखेज्जगुणे धाणिदिए ओगाहणट्ठयाएसंखेनगुणे जिमिदिए ओगाहणट्ठयाएअसंखेजगुणे फासिदिए ओगाहणट्ठयाए संखेनगुणे, पएसट्टयाए-सव्वत्योवेचविखदिएपएसट्टयाए, सोइदिए पएसट्ठयाएसंखेजगुणे, धाणिदिए पएसट्टयाए संखेज्जगुणे जिमिदिए पएसट्टयाए चक्खिदिए ओगाहणयाएसोइदिए ओगाहणठयाएसंखेज्जगुणे धाणिदिए ओगाहणडयाएसंखेज्जगुणे जिमंदिए ओगाहणट्ठयाए असंखेनगुणे, फासिदिए धाणिदिए ओगाहणट्ठयाएसंखेनगुणे फासिंदियस्त ओगाणट्ठयाएहितो चक्खिदिए पएसट्टयाअनंतगुणे सोईदिए पएसद्वयाएसंखेज्जगुणे धाणिदिए पएसट्टयाए संखेनगुणे जिभिदिए For Private And Personal Use Only
SR No.009741
Book TitleAgam 15 Pannavana Uvangsutt 04 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages210
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size4 MB
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