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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिवत्ति-२ संखेजगुणा एवं जाव विदेहत्ति ईसाणेकप्पे देवपुरिसा असंखेनगुणा ईसाणेकप्पे देवस्थियाओं संखेजगुणाओ सोधमेकप्पे देवपुरिसा संखेजगुणा सोहम्मेकप्पे देवित्थियाओ संखेनगुणाओ भवणवासिदेवपुरिसा असंखेनगुणा भवणावासिदेवित्थियाओ संखेनगुणाओ इमीसे रयणप्पभाएपुढवीए नेरइयनपुसंगा असंखेजगुणा खयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेनगुणा खहयरतिरिक्खजोगिस्थिचाओ संखेच्नगुणाओ थलयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेज्जगुणा थलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेनगुणाओ जलयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेनगुणा जलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेनगुणाओ वाणमंतरदेवपुरिसा संखेनगुणा वाणमंतरदेवित्थियाओ संखेजगुणाओ जोतिसियदेवपुरिसा संखेनगुणा जोतिसियदेविस्थियाओ संखेनगुणाओ खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा असंखेनगुणा थलयानपुंसगा संखेजगुणा जलवरनपुंसगा संखेनगुणा चतुरिंदियनपुंसगा विसेसाहिवा तेइंदियनपुंसगा विसेसाहिया बेइंदियनपुंसगा विसेसाहिया तेउक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणियनपुंसगा असंखेनगुणा पुविक्काइनपुंसगा विसेसाहिया आउककाइएनपुंसगा विसेसाहिब वाउक्काइयनपुंसगा विसेसाहिवा वणस्सतिकाइयनपुंसगा अनंतगुणा ६३|-63 १५||-1 (७१) इत्थीणं भंते केवतियं कालं ठिती पत्रत्ता गोचमा एगेणं आएसेणं जहा पुब्बि भणिवं एवं पुरिस्सवि नपुंसगस्सवि संविट्टणा पुणरवि तिण्हंपि जहा पुटि भणिया अंतरपि तिण्हंपि जहा पुटिव भणियं तहा नेयव्यं| |६४/-63 (७२) तिरिक्खजोणित्थियाओ तिरिक्खजोणियपरिसेहिंतो तिगणाओ तिरूवाहियाओ मगुस्सित्थियाओ मणुस्सपुरिसेहिंतो सत्तावीसतिगुणाओ सत्ताविसतिरूवाहियाओ देवित्थियाओ देवपुरिसेहितो बत्तीसइगुणाओ बत्तीसइरूवाहियाओ सेतं तिविधा संसारसमावण्णमा जीवा प. ६५/-64 (७३) तिविहेसु होइभेओ ठिई व संचिट्ठणंतरप्पवहुं वेदाण य बंधठिती देओ तह किंपगारोउ दोचा पडिबत्ति समत्ता. |तचापडिवत्ती-चउबिहपडिवत्ती -: "ने र इय"-उ हे सो प ट मो :(७४) तत्थ जेते एवपाहंसु चउब्विधा संसारसमावष्णगा जीवा पन्नता ते एवमाहंसुतं जहानेरइयातिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा।६६/-65 (७५) से किं तं नेरइया नेरइया सत्तविधा पन्नत्ता तं जहा-पढमापुढविनेरझ्या जाव सत्तमापुढवीनेरइया।६७-66 (७६) पढमाणं भंते पुढवी किंनामा किंगोत्ता पन्नत्ता गोयमाधम्मा नामेण रयणप्पभा गोत्तेणं दोचा णं भते पुढवी किनामा किंगोता पत्रत्ता गोयमा वंसा नामेणं सक्करप्पमा गोत्तेणं एवं व एतेणं अभिलावेणं सव्वासिं पुच्छा नामाणि इमाणि सेलातच्या अंजणाचउत्पी रिद्वापंचमी पधाछट्ठी माधवतीसत्तमा जाव तमतमा गोत्तेणंपन्नत्ता।६८८-67 (७७) धम्मा वंसा सेला अंजण रिट्ठा मधा य माधयती सत्तण्डं पुढवीणं एए नामा उ नायव्या पद्या For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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