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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||६-1 जीवाजीयापिगम - ३/ने-१७८ (७८) [रयणा सक्कर वालुयपंका धूमा तमा तम-तमा य सत्तण्डं पुढवीणं एए गोत्ता मुणेवब्वा] पद्या (७९) इमा गं भंते रयणप्पभापुढवी केवतिया बाहल्लेण गोयमा इसा णं रयणप्पभापुढवी असिउत्तरे जोयणसयसहस्सं बाहल्लेणं एवं एतेणं अभिलावेणं इसा गाहा अनुगंतव्वा।६९।-68 (८०) आसीतं वत्तीसं अट्ठावीसंतहेव वीसंच अट्ठारस सोलसगंअद्भुत्तरमेव हिटिमिया (८१) इमा णं भंते रवणप्पभापुढवी कतिविधा पत्रत्ता गोयमा तिविधा पत्रता तं जहाखरकंडे पंकबहुलेकंडे आवबहुलेकंडे इमीसे णं भंते रयणप्पमाए पुढवीए खरकंडे कतिविधे पत्रत्ते गोयमा सोलसविधे पनत्ते तं जहा-रयणे वइरे वेठलिए लोहितक्खे मसारगल्ले हंसगठभे पुलए सोयंधिए जोतिरसे अंजणे अंजणपुलए रयते जातरूवे अंके फलिहे रिटे कंडे, इमीसे णं भंते एयणप्पभाए पुढवीए रवणकंडे कतिविधे पनरो गोयमा एमागारे पत्रत्ते एवं जाव रिद्वे इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढचीए पंकवहुलेकंडे कतिविधे पन्नत्ते गोवमा एगागारे पन्नत्ते एवं आवबहुलेकंडे कतिविधे पन्नत्ते गोयमा एगागारे पन्नत्ते सक्करप्पभा णं पंते पुढवी कतिविधा पत्रता गोचमा एगागारापत्रत्ता एवंजार अहेसत्तमा।७०।-69 (८२) इमासे णं भंते रयणप्पमाए पुटवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा प. गोयमा तीसं निरयावाससयसहस्सा प. एवं एतेणं अभिलावणं सव्वासिं पुच्छा इमा गाहा अनुगंतचा ७१-१-70-1 (८३) तीसा व पन्नचीसा पन्नरस दसेच तिणि यहवंति पंचूणसवसहस्सं पंचेव अनुतरा नरगा ||७|1-1 (८४) जाव अहेसत्तमाए पंच अनुत्तरा महतिमहालया महाणरगा पनत्ता तं जहा-काले महाकाले रोरुए महारोरुए अपतिट्ठाणे।७१। (८५) अस्थि णं भंते इमीसे रयणप्पमाए पुढवीए अहेघ णोदधीति वा घणवातेति वा तनवातेति आओवासंतरेति बा हंता अस्थि एवं जाव अहेसत्तमाए ७२-71 (८६) इमोसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए खरकंडे केवतियं वारलेणं पत्रते गोयमा सोलसजोयणसहस्साई बाहल्लेणं पत्रत्ते इसीसे णं भंते रयणप्पमाए पुढवीए रवणकंडे केवतियं बाहलेणं पन्नत्ते गोयपा एक्कं जोयणसहस्सं एवं जाव रिटे इमीसे गंभंते रयणप्पभाए पुढवीए पंकबहुले कंडे केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयपा चउरासीतिजोयणसहस्साई इसीसे गं भंते रयणप्पमाए पुढवीए आवबहुले कंडे केवतिवं बाहल्लेणं पत्रते गोयमा असीतिजोयणसहस्साइंइमीसे गंभंते रयणप्पभाए पुढवीए घणोदही केवतियं बाहल्लेणं पनते गोयमा वीसंजोयणसहस्साइंइपीसे णं भंते रवणप्पभाए पुढवीए पणवाते केवतियं वाहल्लेणं पन्नत्ते गोवपा असंखेजाइं जोयणसहस्साई एवं तणुवातेवि ओवासंतरेवि सक्करप्पभाए णं भंते पुढवीए घणोदही केवतियं गोचमा वीसं जोयणसहस्साई सक्करप्पभाए पुढवीए घणवाते केवतिए बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयमा असखेजाई जोयणसहस्साइं एवं तनुवातेवि ओवासंतरेवि जहा सक्करप्पभाए पुढवीए एवं जाव अधेसत्तमाए।७३-72 (2) इसीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसतसहस्सबाहल्लाए खेत्तच्छेएणं छिन्नपाणीए अस्थि दवाई वण्णतो काल-नील-लोहित-हालिद्द-सुक्किलाई गंधतो सुरभिगंधाई दुभिगंधाइं रसतो तित्त कडुय-कसाय-अविल-महुराई फासतो कक्खड़-मउय-गरुय-लहु-सीत For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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