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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिवत्ति-५ १३५ अपजतगा असंखेनगुणा बायरा अपजत्तगाविसेसाहिया यायरा विसेसाहिया एएसि णं मंते सुहमाणं सुहुमपुढविकाइयाणं जाव सुहुमनिगोदाणं बायराणं वायरपुढविकाइवाणं जाव बादरतसकाइयाणं य कयरे कयरेहितो अप्पा वा जाब विसेसाहिया वा गोयमा सव्वत्योवा वादातसकाइया, बायरतेउकाइया असंखेनगुणा, पत्तेयसरीरबायरवणस्सइ-काइया असंखेनगुणा तहेव जाव बायरवाउकाइया असंखेनगुणा सुहुमतेउक्काइया असंखेनगुणा सुहुमपुढविकाइया विसेसाहिया सुहुमआउकाइया सुहुमवाउकाइया विसेसाहिया सुहुमनिओया असं खेनगुणा बायरवणस्सतिकाइया अनंतगुणा दायरा विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया असंखेजगुणा सुहमाबिसेसाहिया एवं अपनत्तगावि पञ्जत्तगावि नवरि-सव्वत्योवा बायरतेउककाइया पञ्जत्ता वायरतसकाइया पञ्जत्ता असंखेजगुणा पत्तेयसरीरयायरवणस्सइकाइया असंखेजगुणा सेसं तहेब जाव सुहुमा पजत्ताणं अपज्जत्ताणं य कयरे कपरेहितो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा गोयमा सव्वत्योवाबादरा पञ्जत्ता, बादरा अपजत्ताअसंखेनगुणा सवत्थोवा सुहमा अपनत्ता, सुहमपञ्जत्ता संखेजगुणा एवं सुहमपुढविवायरपुढवि जाव सुहमनिओया यावरनिओया नवरं-पत्तेयसरीरवावरवणस्सतिकाइया सव्वत्थोवा पञ्जत्ता, अपनत्ता असंखेजगुणा एवं बादरतसकाइयावि, सब्वेसिपज्जतअपज्जतगाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा सव्वत्योवा बायरतेउकूकाइया पञ्चत्ता, बायरतसकाइया पज्जत्तगा असंखेनगुणा ते चेव अपज्जत्तगा असंखेनगुणा पत्तेयसरीरबायएवणस्सइकाइया अपनत्तगा असंखेज्जगुणा बायरणिओया पञ्जत्ता असंखेनगुणा बायरपुदविकाइया असंखेनगुणा आउवाउकाइया पजत्ता असंखेनगुणा बायरतेउकाइया अपजतगा असंखेजगुणा पत्तेययसरीरबायरवणस्सइकाइया असंखेजगुणा बायरतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया असंखेनगुणा बायरणिओया पञ्जत्ता असंखेनगुणा बायरपुढवि-आउ-वाउकाइया अपजत्तगा असंखेनगुणासुहुमतेउकाइया पज्जत्तगा संखेजगुणा सुहुमणिगोवा पजत्तगा संखेजगुणा वायरवणस्सतिकाइया पज्जत्तगा अनंत-गुणा बायरा पजत्तगा विसेसाहिया बायरवणस्सइकाइया अपजत्ता असंखेनगुणा दायरा अपजत्ता विसेसाहिया बायरा विसेसाहिया सुहुमवणस्सतिकाइया अपज्जत्तगा असंखेनगुणा सुहमा अपनत्ता विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्ता संखेनगुणा सुहुमा पञ्चत्तगाविसेसाहिया सुहुमा विसे- साहिया।२३८1-237 (३६३) कतिविधा णभंते निओदा पनत्ता गोयमा दुविहा पन्नत्तातं जहा-निओदाय निओदजीवा य निओदा णं भंते कतिविहा पनत्ता गोयमा दुविहा पन्नत्ता तं जहा-सुहुमनिओदा य पायरणिओदा य सुहमनिओदा णं भंते कतिविहा पन्नत्ता गोयमा दुविहा पनत्ता तं जहा-पञ्जत्ता य अपजता य वादरनिओदावि दुयिहा पन्नत्ता तंजहा-पञत्ता यअपज्जत्ता य।२३९१-238 (३६४) निओदा णं भंते दवट्ठयाए किं संखेज्जा असंखेज्जा अनंता गोयमा नो संखेज्जा असंखेजा नो अनंता अपजत्ता णं भंते निओदा दवट्ठयाए कि संखेना असंखेना अनंता गोयमा नो संखेजा असंखेजा नो अनंता, पज्जता णं मंते निओदा दचट्ठयाए कि संखेना असंखेजा अनंता गोयमा नो संखेना असंखेजा नो अनंता सुहुमणिोदा णं भंते दव्यष्टयाए किं संखेजा असंखेज्जा अनंता गोयमा नो संखेना असंखेना नो अनंता अपज्जत्ता णं भंते सुहमणिओदा दबट्टयाए किं संखेजा असंखेजा अनंता गोयमा नो संखेज्जा असंखेजा नो अनंता पद्धत्ता णं भंते सुहमणिओदा दव्वद्याए किं संखेडा असंखेज्जा अनंता गोयमा नो संखेना असंखेजा नो अनंता बादरणिओदाणं For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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