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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||१०||-1 ॥९१||-2 जीवाजीवापिगम - ५/-३५६ एतेसिं जहण्णेणं अंतोमुहूत्तं उक्कोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ संखातीयाओ समाओ अंगुलभागे तहा असंखेना ओहे य बायरतरु-अनुबंधो सेसओ वोच्छं [बादरपुढविसंचिट्ठणा जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उककोसेणं सत्तरि सागरोवमकोडाकोडीओ जाव बादरवाऊ बादरवणस्सिकाइयस्स जहा ओहियो बादरपत्तेयवणस्सतिकाइयस्स जहा बादरपुढवी निओते जहण्णेणं अंतोमहतं उककोसेणं अनंतं कालं-अनंताओ उस्सप्पिणी-ओसप्पिणीओकालओखेतओअड्ढाइजा पोग्गलपरियट्टा बादरणिोते जहा बादरपुढवी बादरतसकाइयस्स दो सागरोवमसहस्साई संखेनवासमभहियाई अपञ्जताणं सब्वेसिं अंतोमुहत्तं यादरपजताणं संचिट्ठाणा जहण्णेणं अंतीमुहुत्तं उक्कोसेणं सागरीवमसयपुहत्तं सातिरेगं बादरपुढविकाइयस्स संखेज्जाई वाप्तसहस्साई एवं आऊ तेउकाइयस्स संखेजई राइंदियाई वाउकाइयस्स संखेज्जाई वाससहस्साई एवं बादरवणस्सतिपज्जत्तए पत्तेगयादरवणस्सतिकाइयस्सवि यादरणिओदपजत्तए जहन्नेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहत्तं निओदपजत्तए वि अंतोमुहत्तं बादरतसकाइयपज्जत्तए सागरोवमसतपुहत्तं सातिरेगं पा.।।२३६।-235 (३५८) उस्सप्पिणि-ओसप्पिणी अड्ढाइय पोग्गलाण परियट्टा बेउदधिसहस्सा खलु साधिया होति तसकाए (३५९) अंतोमुत्तकालो होइ अपञ्जत्तगाण सोस पज्जत्तवायरस्स य बायरतसकाइयस्सावि (३६०) तेउस्स संख राइंदिया दुविहणिओए मुहत्तमद्धं तु सेसाणंसंखेज्जा वाससहस्सा यसव्येसि ||१२||-3 (३६१) बादरस्स णं भंते केवतियं कालं अंतरं होति गोयमा जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्को सेणं बादरपुढविकाइयस्स बणस्सतिकालो जाव बादरवाउकाइयस्स बादरवणस्सतिकाइयस्स पुढविकालो पत्तेयादरवणस्सइकायस्स यणस्सतिकालो निओदो बादरनिओदो य जहा बादरो ओहिओबादरतसकाइयस्स वणस्सतिकालो [अपजताणं पनत्ताणंच एसेव विही] ।२३७-238 (३६२) अप्पाबहुयाणि-सव्वत्थोरा बादरतसकाइया बादरतेउकाइया असंखेनगुणा पत्तेयसरीरबादरवणस्ततिकाइया असंखेनगुणा बादरनिओया असंखेनगुणा बादरपुढविकाइया असंखेनगुणा आउयाउकाइया असंखेनगुणा बादरवणस्सतिकाइया अनंतगुणा बादरा विसेसाहिया एवं अपातगाणवि पजतगाणं सव्यथोया बायरतेउकाइया बायरतसकाइया असंखेनगुणा पत्तेगसरीबायरा असंखेज्जगणासेसा तहेवजावबादरा विसेसाहिया एतेसिणंमते बायराणं पञत्तापजत्ताणं कयरे कयरेहितो अप्पा या जाव विसेसाहिया वा सव्यत्योवा बायर पजता, बायरा अपनतगा असंखेनगुणा एवं सव्ये जाव वायरतसकाइया एएसि णं भंते बायराणं बायरपुढविकाइयाणं जाव बायरतसकाइयाण य पजतापजताणं कयरे कयरेहितो अप्पा वा जाव विसेसाहिया वा सब्बत्थोवा वायरतेउल्काइया पनत्तगा बादरतसकाइया पजत्तगा असंखेनगुणा बावरतसकाइया अपजतगा असंखेनगुणा पत्तेयसरीरबायरयणस्सतिकाइया पजत्तगा असंखेनगुणा बायरतेउकाइया अपजत्तगा असंखेनगुणा पत्तेयसरीरबायर वणस्सतिकाइया अपजत्तगा असंखेनगुणा बायरा निओगा अपजत्तगा असंखेजगुणा बायापुढवि-आउ-याउकाइया अपजतगा असंखेजगुणा बायरवणस्सइकाइया पञ्जत्तगा अनंतगुणा वायरपजत्तगा विसेसाहिया बायरवणस्पतिकाइया For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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