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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवाजीवाधिगम - 4/-1३६४ भंते दब्वट्ठयाए कि संखेज्जा असंखेज्जा अनंता गोयमा नो संखेज्जा असंखेजा नो अनंता अपञ्जत्ताणं भंते वादरणिओदादवट्ठयाए किं संखेज्जा असंखेज्जा अनंता गोयमा नो संखेज़ा असंखेजा नो अनंता निओदाणं भंते पदेसट्ठयाए किं संखेजा असंखेना अनंता गोयमा नो संखेडा नो असंखेना अनंता एवं पञ्जत्तगावि अपनत्तगावि एवं सुहुमागवि तिणि आलावगा पदेसट्टयाए सव्वे य अनंता एवं पदेसठ्ठताए बादराणवि तिणि आलावगा सव्वे य अनंता एमेए दव्वपदेसेहिं अट्ठारस आलागवगा एतेसि णं भंते निओदाणं सुहमाणं बादराणं पञ्जत्ताणं अपज्जत्ताणं दबट्टयाणं पदेप्सट्टयाए दव्वट्ठपदेप्सट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहया वा तुला वा विसेसाहिया वा गोयमा सव्बत्योवा बादरणिओदा पजत्ता दव्वट्ठयाए, बादरणिओदा अपज्जत्ता दवट्ठयाए असंखेनगुणा सुहमणिओदा अपनत्ता दबट्टयाए असंखेनगुणा सुहमणिओदा पजत्ता दबट्टयाए संखेजगुणा पदेसट्ठताएसव्वत्थोवा बादरणिओदा पञ्जत्ता पदेसट्टयाए बादरणिओदा अपजत्ता पदेसट्टयाए असंखेनगुणा सुहमणिओदा अपनत्ता पदेसट्टयाए असंखेनगुणा सुहमणिओदा पञ्जत्ता पदेसट्टयाए संखेनगुणा दव्यठ्ठ-पदेसट्ठयाए-सव्वत्थोवा बादरणिओदापजत्तादबट्टयाए बादरणिओदा अपनत्ता दबट्टयाए असंखेनगुणा सहमणिओदा दबट्ठयाए असंखेनगुणा सुहमनिओदा पजत्ता दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा सुहमणिओदेहितो पज्जत्तएहितो दव्यष्टयाए बादरणिओदा पज्जत्ता पदेसट्टयाए अनंतगुणा बादरणिओदा अपजत्ता पदेसट्ठयाए असंखेजगुणा सुहमणिओदा अपजत्ता पदेसद्वाए असंखेनगुणा सुहमणिओदा पजत्ता पदेसठ्ठताए संखेनगुणा __निओदजीवा गंभंते कतिविहा पनत्ता गोयमा दुविहा पत्नत्तातं जहा-सुहुमणिओदजीवाय बादरणिओदजीया य सुहमणिओदजीवा णं भंते कतिविहा पत्रता गोयमा दुविहा पन्नत्ता तं जहापजत्ता य अपनत्ता य बादरणिओदजीवाणं मंते कतिविहा पन्नत्ता गोयमा दुविहा पन्नत्ता तं जहापजत्ता य अपज्जत्ता य निगोदजीवा ण भंते दवठ्ठयाए किं संखेजा असंखेज्जा अनंता गोपमा नो संखेजा नो असंखेज्जा अनंता एवं अपजत्तावि अनंता पजत्तावि अनंता एवं सुहमावि पज्जत्ता अपनत्ता तिविधावि अनंता बादरणिओदजीवा णं मंते दब्वट्ठयाए किं संखेजा असंखेशा अनंता गोयमा नो संखेज्जा नो असंखेजा अनंता एवं अपज्जतावि एवं पज्जत्तावि एवेते निओदजीवेसु दव्वट्ठयाए नव आलावगा सब्वेवि अनंता एव पदेसट्ठयाएवि नव आलावगा सब्वेविअनंता एवमेते निओदजीवेसु सुहम-बादरेसु दव्ययाए पदेसट्टयाए अट्ठारस आलावगा अनंता एतेसि णं मंते निओदजीवाणं सुहमाणं बादराणं पज्जत्ताणं अपज्जत्ताणं दव्यष्टयाए पदेसट्टयाए दब्बटु-पदेसट्टयाए कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा गोयमा सव्वत्योवा बादरनिओदजीवा पजत्ता दव्वठ्ठयाए बादरणिओदजीवा अपनत्ता दबट्टयाए असंखेनगुणा सुहमनिओदजीया अपनत्ता दबट्टयाए असंखेनगुणा सुहुमनिओदजीवा पञ्जत्ता दव्वट्ठयाए संखेनगुणा पदेसट्ठयाएसव्वत्थोया बादरनिओदजीवा पजत्ता पदेसट्टयाए बादरनिओदजीवा अपज्जत्ता पदेसट्टयाए असंखेनगुणा सुहमनिओदजीवा अपजत्ता पदेसट्ठायए असंखेनगुणा सुहमणिओ-दजीवा पज्जत्ता पदेसट्टयाए संखेनगुणा दबह-पदेसट्टयाए सव्यस्थाचा बादरणिओदजीवा पञ्जत्ता दब्बट्टयाए बादरणिओदजीवा अपज्जत्ता दवट्ठयाए असंखेनगुणा सुहमणिओदजीवा अपजता दवट्ठयाए असंखेनगुणा सुहमणिोदजीवा पजत्ता दबट्ठयाए संखेजगुणा सुहमणिोदजीवेहितो पजत्तेंहितो दव्वट्टयाए वादरणिओदजीया पञ्जत्ता पदेसट्टयाए असंखेनगुणा बादरणिओदजीवा अपनत्ता For Private And Personal Use Only
SR No.009740
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages162
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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