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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुतं- ४२ तिणि परिसाओ सत्त अणियाओं सत्त अणियाहिवणी [सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीओ] अण्णेवि बहवे सूरियाभविमाणवासिणो देवा य देवीओ य तेहि साभाविएहि य वेउव्विएहि य वरकमलपइट्ठाणेहिं सुरभिवरचारिपडिपुत्रेहिं चंदणकयचच्चाएहिं आविद्धकंठेगुणेहिं पउमुप्पलपिहाणेहिं सुकुमालकरयलपरिग्ाहिएहिं अट्टसहस्सेणं सोवण्णियाणं कलसाणं जाव अडसहस्सेणं सुवण्णरुपमणिमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सेणं भोमिज्ञाणं कलसाणं सव्वोदएहिं सव्यमट्टियाहिं सव्वतूबरेहिं जाव सव्वोसहिसिद्धत्यएहिं य सव्विदीए जाव नाइयरवेणं महया महया इंदाभिसेएणं अभिसिंचति तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स महया - महया इंदाभिसेए वट्टमाणे अप्पेगतिया देवा सूरिया विमाणं नोयगं नातिमट्टियं पविरलफुसियरयरेणुविणासणं दिव्यं सुरभिगंधोदगवासं वासंति अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं हयरयं नरयं भट्टरयं उवसंतरयं पसंतरयं करेंति अप्पेगतिया देवा सूरिया विमाणं आसियसंमजिआंवलित्तं सुइ-संमद्धरत्थतराणवीहियं करेति अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं मंचाइमंचकलियं करेति अप्पेगइया देवा सूरियाभं विमाणं नागाविहरागोसियझयपडा-गाइपडागमंडियं करेति अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं लाउलोइयमहियं गोसीससरसरत्त- चंदणदद्दर- दिण्णपंचंगुलितलं करेति अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं उवचिववंदणकलसं वंदण-घडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागं करेंति अप्पेगतिया देवा सूरिया विमाणं असत्तोसत्त-विउलवट्टवग्धारियमल्लदामकलावं करेंति अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं पंचवण सुरभि मुक्क पुष्कपुंजोवयारकलियं करेति अप्पेगतिया देवा सूरियाधं विमाणं कालगरुपवरकुंदुरुकक-तरु- कूक-धूव-मघमघेतगंधुघुयाभिरामं करेति अप्पेगइया देवा सूरियामं विमाणं सुगंधगंधियं गंधवट्टिभूतं करेंति अप्पेगतिया देवा हिरण्णवासं वासंति सुवण्णयासं वासंति रयणवासं वासंति वइरवासं वासंति पुष्पचासं वासंति फलवासं वासंति मल्लवासं वासंति गंधवासं वासंति चुण्णवाएं वासंति आभरणदासं वासंति अप्पेगइया देवा हिरण्णविहिं भाएति एवं सुवण्णविहिं रयणविहिं पुप्फविहिं फलविहिं मल्लविहिं गंधविर्हि चुण्णविहिं आभरणविहिं भाएंति अप्पेगतिया देवा चउच्विहं बाइतं बाएंति-ततं विततं घणं सुसिरं अप्पेगइया देवा चउब्विहं गेयं गायंति तं जहाउक्खित्तायं पायंतायं मंदायं रोइयावसाणं अप्पेगतिया देवा दुयं नट्टविहिं उवदंसेति अप्पेगतिया देवा विलंबियं नट्टविहिं उददंसोते २९ अम्पेगतिया देवा रिभियं नट्टविहिं उवदंसेति अप्पेगइया देवा अंचिय-रिभियं नट्टविहि उवयंसेति अप्पेगइया देवा आरभडं नट्टचिहिं उवदंसेति अप्पेगइया देवा भसोलं नट्टविहिं उवदंसेति अप्पेगइवा देवा आरभङ-भसोलं नट्टविहिं उवदंसेति अप्पेगइया देवा उप्पायनिवायपसत्तं संकुचियपसारियं रियारियं भंत संभंतं नामं दिव्वं नट्टविहिं उबदंसेतिं अप्पे- गतिया देवा चउच्विहं अभिनयं अभिनयंति तं जहा दिवंतियं पाडंतियं सामन्न ओविणिवाइयं लोगमज्झावसाणियं अप्पेगतिया देवा बुक्कारेति अप्पेगगिया देवा पीर्णेति अप्पेगतिया लासेति अप्पेगतिया तंडवेंति अप्पेगतिया बुक्कारेति पीर्णेति लासेंति तंडवेंति अभ्येगतिया अप्फोडेति अप्पेगतिया यागति अप्पेगतिया तिवई छिंदंति अप्पेगतिया अफोर्डेति वग्र्गति तिवई छिंदंति अप्पेगतिया हयहेसियं करेति अप्पेगतिया हत्विगुलगुलाइंय करेति अप्पेगतिया रहधणधणाइयं करेति अप्पेगतिया हयहेसियं करेति हत्थगुलगुलाइयं करेंति अप्पेगतिया रहघणघणाई करेति अप्पेगतिया उच्छलेति पोच्छलेति उक्किट्ठियं कति अप्पेगतिया ओवयंति अप्पेगतिया उप्पयंति अप्पेगतिया परिवयंति अप्पेगइया For Private And Personal Use Only
SR No.009739
Book TitleAgam 13 Raipaseniyam Uvangsutt 02 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 13, & agam_rajprashniya
File Size2 MB
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