SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनापणं-२ पडिक्कंते समाहिं पत्ते कालमासे कालं किंवा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसगस्स पहाविपाणप्स उत्तरपुत्थिमेणं अरुणाभ विमाणे देवत्ताए उववण्णे तत्थणं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पन्नत्ता कामदेवस्स वि देवस्स चत्तारि पलिओदमाई ठिई पन्नत्ता से णं मंते कामदेवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं टिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गमिहिइ कहिं उववञ्जिहिइ गोयमा महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुझिहिइ मुचिहिइ सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ एवं खन्नु जंबूसपणेणं भगवयामहावीरेण उवासगदसाणंदोधस्स अज्झयणस्सअयमढेपन्नत्ते।२६।-28 .बीअं अग्झरणं समतं. तइयं अज्झयणं-चुलणीपित्ता (२९) लइणं भंते समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं दोच्चस्स अज्झयणस्त अवपढे पन्नत्ते तच्चस्स णं भंते अज्झयणस्स के अटे पन्नत्ते] एवं खलु जंबू तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नापं नयरी कोट्ठए चेइए जियसतू राया तत्थ णं वाणारसीए नयरीए चुलणीपिता नाम गाहावई परिवसइ-अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभूए तस्स णं चुलणीपियस्स गाहावइस्स अट्ट हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ अट्ट हिरण्णकोडीओ वढिपउत्ताओ अट्ठ हिरण्णकोडीओ पवित्यरपउत्ताओ अट्ट वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था से णं चुलणीपिता गाहावई वहूणं जाव आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिओ सयस्स वि य णं कुडुवस्स मेढी जाव सव्वकजवड्ढावए यावि होत्था तस्स णं चुलणीपियस्स गाहावइस्स सामा नारं भारिया होत्याअहीण-पडिपुण्ण-पंचिंदियसरीरा जाव पाणुस्सए कामभोए पचणुभवमाणी विहरइ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव जेणेव वाणारसी नयरी जेणेव कोट्ठए चेइए तेणेव उवागचाइ उवागच्छित्ता अहापडिरूचं ओगहं ओपिण्हिता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ परिसा निग्गया कूणिए राया जहा तहा जियसत्तू निग्गच्छइ जाव पञ्जुवासइ तए णं से चुलणीपिया गाहावई इसीसे कहाए लद्धडे समाणे-एवं खलु समणे भगवं महावीरे पुवाणुपुचि चरमाणे गामाणुगापं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव वाणारसीए नयरीए दहिया जाय विहरइतं महप्फलं खलु भो देवाणुप्पिया तहारूवाणं अरहंताण भगवंताणं नामगोयसस विसवणयाए किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नसंसण-पडिपुच्छण पजुवासणयाए एगस्स विआरियस्स घम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए तं गच्छामि णं देवाणुप्पिया समणं भगवं महावीरं वदामि नमसामि सक्कारेमि समाणेपि कल्लाणं मंगलं देवयं चेवई पज्जुवासामि-एवं संपेहेइ संपेहेत्ता हाए कयवलिकम्मे मंगलं देवई चेइयं पञ्जुवासामि एवं संपेहइ संपेहेत्ता पहाए कयबलिकमे कयकोउय-मंगल पायन्कित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवर परिहिए अप्पमहग्धाभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता सकोरेंट मल्लदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं मणुस्सवगुरापरिखित्ते पादविहार चारेणं वाणारसिं नयरिं पझंमज्झेणं निग्गच्छइ निगच्छित्ता जेणामेव कोठए चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छिता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आवाहिण-पयाहिणंकरेइ करेत्ता वंदइ नमसंइ वंदित्ता नमंसित्ता नचासणे नाइदूरे सुस्सूसमाणे नपंससाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ तएणंसपणे भगवं महावीरे चुलणीपियस्त गाहावइस्स तीसे यमहइमहालियाए परिसाए जाव धम्म परिकहेइ परिसा पडिगया राया य गए तए णं से चुलणीपिता गाहावई समणस्स भगवओ For Private And Personal Use Only
SR No.009733
Book TitleAgam 07 Uvasagdasao Angsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 07, & agam_upasakdasha
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy