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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उवासगदसाओ ३/२१ महावीरस्त अंतिए धमं सोधा निसम्म हट्टतुष्ट-चितमाणदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाइणहियए उठाए उठे उद्वेता समणं भगवं महावीरं जाय नमंसिता एवं ययासीसद्दहामि गंभंते निग्गंध पावयणं पत्तियामि गंभंते निगंथं पावयणं रोएमिणं भंते निगंध पावयणं अदभुट्टेमि णं भंते निगंथं पावयणं एवमेयं भंते तहमेयं भंते अवितहमेयं भंते असद्धिमेवं भंते इच्छियपेयं भंते पडिच्छियमेयं भंते इछिव-पडिछियमेयं भंते से जहेय तुमे वदह जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्म-सेट्ठि-सेगावइ-सत्यवाहपिभिइया मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया नो खलु अहं तहा संचाएमि मुंडे भवित्ता अगाराओ अमगारियं पव्वइत्तए अहं णं देवाणुप्पियाणं अंतिए पंचागुव्वइयं सत्तासरखावइयं दुवालसविहं सावगधमं पडिवज्जिस्सामि अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंध करेहि तएणं से चुलणीपिता गाहावई सपणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए तावयधम्म पडिवाइ ते णं सपणे भगवं महावीरे अण्णदा कदाइ वाणारसीए नयरीए विहरइ ते णं से चुलणीपिता समणोवासए जाएअभिगवजीवाजीवे जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थपडिग्गह-कंबलपायपुंछणेणं ओसह-सजेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेना-संथारएणं पडिलाभेमाणे विहरइ ते णं सा सापा भारिया समणोवासिया जाया-अभिगयजीवाजीवा जाय विहरइ तए णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासगस्स उच्चावएहि सील-व्यय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाणपोसहोयवासेहिं अप्पाणं भावमाणस्स चोद्दस संवच्छराई वीइक्कंताई पन्नरसमस संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अण्णदा कदाइ पुच्चरत्तावरत्तकालसमयंसि घम्मजागरिवं जागरपाणस्स इपेवा. रूवे अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्या-एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए बहूणं जाय आपुच्छणिग्ने पडिपुच्छणिज्जे सयस्स वि यणं कुडुंबस्स मेढी जाव सव्यकञ्जवड्ढावए तं एतेणं वक्वेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपन्नति उवसंपञ्जित्ता णं विहरित्तए तए णं से चुलणीपिता सपणोवासए जेट्टपुत्तं मित्त-नाइ-निवग-सवण-संबंधिपरिजणं च आपुच्छइ आपुच्छित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता वाणारसि नयरिं मझंपन्झेणं निगच्छइ निगच्छित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ उवागछित्ता पोसहसालं पमनइ पमजित्ता उच्चार-पासवणभूमि पडिलेहेइ पडिलेहेत्ता दभसंयारयं संथरेइ संथरेत्ता ददमसंथारयं दुरुहइ दुहित्ता] पोसहसालाए पोप्तहिए बंभयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगयमालावण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थमुसले एगे अबीए दबसंथारोवगए] समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धमपत्रत्ति उवसपञ्जित्ताणं विहरइ।२७1-27 (३०) तए णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासयस पुव्यरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अंतिय पाउन्भूए तए णं से देवे एगं पहं नीलुप्पल-गवलगुलिय-अयसिकुसुमप्पगासं खुरधारं असि गहाय चुलणीपियं सपणोयासयं एवं वयासी हंभो चुलणीपिता समणोवासया [अप्पत्थिपत्थिया दुरंत-पंत-लक्खणा होणपन्नचाउद्दसिया सिरि-हिरि-धि-कित्ति-परिवज्जिया धम्मकामया पुत्रकामया सागकामवा मोक्खकामया धम्मकंखिया पुनकंखिया स'गकंखिया मोक्वकंखिया धम्मापे. वासिया पुत्रपिवासिया सागपिवासिया मोक्खपिवासिचा नो खलु कप्पइ तव देवाणुप्पिया सीलाई वयाई वेरमणाई पञ्चक्खाणाई पोसहोववसाइ चालित्तए वा खोभित्तए वा खंडित्तए वा भंजित्तए वा उन्झितए वा परिचइत्ताए वा तं जइ णं तुम अज्जसीलाई क्याई वेरपणाई पञ्चक्खाणाई पोसहो For Private And Personal Use Only
SR No.009733
Book TitleAgam 07 Uvasagdasao Angsutt 07 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages74
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 07, & agam_upasakdasha
File Size2 MB
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