SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पंचमं सतं उद्देसो- 9 अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं पञ्चत्विमे वि अट्ठारसमुहत्ताणंतरे दिवसे भवइ जया णं पञ्चत्थिमे अट्ठारसमुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीचे दीवे मंदरएस पव्वयस्स उत्तर- दाहिणे णं साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ हंता गोयमा जाव भवइ एवं एएणं कमेणं ओसारेयव्यंसत्तरसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुत्ता राई पसत्तर समुहत्ताणंतरे दिवसे साइरेगा तेरसमुहुत्ता राई सोलसमुहुत्ते दिवसे चोदसमुहुत्ता राई सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगा चउद्दसमुहुत्ता राई पन्नरसमुहुत्ते दिवसे पत्ररसपुहुत्ता राई पन्नरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगा पत्ररसपुहुत्ता राई चोदसमुहुत्ते दिवसे सोलसमुहत्ता राई चोदसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगा सोलसमुहत्ता राई तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरमुहुतां राई तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे साइरेगा सत्तरसमुहुत्ता राई जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे वि जया णं उत्तरड्ढे तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम- पचत्थिमे णं उक्कोसिया अट्टारसमुहुत्ता राई भवइ हंता गोयमा एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव राई भवइ जया णं भंते जंबुद्दीवे दीवे मंदरस पव्वयस्स पुरस्त्थिमे णं जहन्नए दुबालस मुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं पत्थिमेण विजया णं पञ्चत्थिमे तथा णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर- दाहिणे णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ हंता गोयमा जाव राई भवइ ।१७६ -176 (२१८) जया णं भंते जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवन्नइ तथा णं उत्तरड्ढे वि वासाणं पढमे समए पडिवज्र जया णं उत्तरड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम- पचत्थिमे णं अनंतरपुरक्खड़े समयंसि वासाणं पढमे समए पडिवज्रइ हंता गोयमा जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे वासाणं समए पडिवज्जइ तह चैव पडिवज्जइ जया णं भंते जंबुद्दीचे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं वासाणं पढमे समए पडिवज तया णं पञ्चत्थिमे ण वि वासाणं पढमे समए पडिवञ्जइ जया णं पच्चत्थिमे णं वासाणं पढमे समए पडिवज्रइ तया णं [ जंबुद्दीवे दीवे ] मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर दाहिणे णं अनंतरपच्छाकडसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिबन्ने भवइ हंता गोयमा जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्सा पुरथिने णं एवं चैव उच्चारेयव्वं जाव पडिबने भवइ एवं जहा समएणं अभिलावो भणिओ वासाणं तहा आवलियाएवि माणियत्वो आणापाणूणवि थोवेणवि लवेणवि मुहुत्तेवि अहोरतेवि पक्त्रेणवि मासेणदि उऊणदि एएसिं सव्वेसिं जहा समयस्स अभिलावो तहा भाणियव्वो जया णं भंते जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे हेणंताणं पढमे समए पडिबाइ जहेव वासाणं अभिलावो तहेच हेमंतामं वि गिम्हाण वि भाणियव्वो जाव उऊए एवं तिणि वि एएसि तीसं आलावगा भाणियव्या जया णं भंते जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पच्चयस्स दाहिणड्ढे पढमे अघणे पडिवजइ तया णं उत्तरड्ढे वि पढने अयणे पडिवाइ जहा समएणं अभिलावो तहेब अयणेण वि भाणियव्वो जाव अनंतरपच्छाकडसमयंसि पढने अपने पवित्रे भवइ जहा अयणेणं अभिलावो तहा संवच्छरणं वि भाणियव्वो जुहुण वि वाससएण वि वाससहस्सेणं वि वाससयसहस्सेणं वि पुव्यंगेणं वि पुव्वेण वि तुडियंगेण वि तुडिएण वि एवं पुव्वंगे पुल्वे तुडियंगे तुडिए अडडंगे अड्डे अवयंगे अववे हूहूयंगे हूहूए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे नलिणंगे नलिणे अत्थणिउरंगे अत्थणिउरे अउयंगे अउए नउयंगे नउए पउयंगे पउए चूलियंगे चूलिया सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलि ओवमेण सागरोवमेण वि पाणियच्चो For Private And Personal Use Only ८९
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy