SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८८ पगवई - ४/-1१०/२१२ वत्ताए तावण्णताए तागंधत्ताए तारसताए ताफासत्ताए भुजो-भुज्जो परिणमंति एवं चउत्यो उद्देसओ पनवणाए चेव लेस्सापदे नेयव्यो जाव-1१७४-१1-174-1 (२१३) परिणाम-वण्ण-रस-गंध-सुद्ध-अपसत्थ-संकिलिङ्कण्हा गइ - परिणाम - पएसोगाह - वागणायणमप्पबहुं ॥३३||-33 (२१४) सेवं भंते सेवं भंतेति ।१७४।-174 .चउत्थे सते दसमो उद्देसो समतो. [पंचमं - सतं -: पढ मो-उदे सो :(२१५) चंप-रवि अनिल गंठिय सद्दे छउमाउ एयण नियंठे रायगिहं चंपा - चंदिमा य दस पंचमम्मि सए ||३४||-34 (२१६) तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नगरी होत्या-वण्णओ तीसे णं चंपाए नगरीए पुण्णमद्दे नामं चेइए होत्या-वण्णओ सामी समोसढे जाव परिसा पडिगया तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई नापं अणगारे गोयमे गोत्तेणं जाव एवं वयासी जंबुद्दीये णं मंते दीवे सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ पाईण-दाहिणमागच्छति पाईण-दाहिणमुग्गच्छ दाहिण-पडीणमागच्छति दाहिण-पडीणमुगच्छ पड़ीण-उदीण-मागच्छंति पडीण-उदीण मुग्गच्छ उदीचि-पाईपमागच्छंति हंता गोयमा जंबुद्दीवे गं दीये सूरि- या उदीण-पाईणमुग्गच्छ जाव उदीचि पाईणमागच्छंति जया णं भंते जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहणड्ढे भवइ तया णं उत्तरडेवि दिवसे भवइ जया णं उत्तरड्ढे दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीये मंदरस्स पब्वयस्स पुरथिम-पञ्चस्थिमे गं राई भवइ हंता गोवमा जवा णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे जाय पुरथिम-पचत्यिमे णं राई मवइ जयाणं मंते जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्ययस्स पुरथिमे णं दिवसे भवइ तया णं पञ्चत्यिमे ण वि दिवसे भवइ जया णं पच्चत्थिमे णं दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं राई भवइ हंता गोयमा जया णं जंबुदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमे णं दिवसे जाव उत्तर-दाहिणे णं राई भवइ ।१७५-175 (२१७) जया णं भंते जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्ठारस मुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे वि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जया णं उत्तरड्ढे उक्कोसए अवारसमुहुत्ते दिवसे भयइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्ययस्स पुरस्थिमपच्चत्थिमे णं जहणिया दुवालसमुहत्ता राई भवइ हंता गोयमा जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्डे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे जाव दुवालसमुहुत्ता राई भयइ जया णं भंते जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्ययस्स पुरत्यिमे उकूकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे मवइ तया णं पचत्यिमे वि उक्कोसेणं अट्ठरासमुहुत्ते दिवसे भवइ जया णं पञ्चस्थिमे णं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ तया णं जंबुद्दीवे दीवे उत्तर दाहिणे णं जहणिया दुवालसमुहत्ता राई भवइ हंता गोयमा जाव भवइ जया णं भंते जंबुद्दीदे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं उत्तरड्ढे वि अद्वारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे मवइ तया णं जंबुदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिम पञ्चत्यिमे णं साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ हंता गोयमा जया णं जंबुद्दीवे जाव राई भवइ जया णं मंते जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरस्थिमे णं For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy