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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवई . ३/-101१९४ जहा-इंगालए वियालए लोहियक्खे सण्णिचरे चंदे सूरे सूक्के बुहे बहस्सई राहू सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सतिभागं पलिओवमं ठिई पनत्ता अहावचामिण्णायणं देवाणं एगं पलिओ- वमं ठिई पत्रत्ता एमहिड्डीए जाव महाणुभागे सोमे महाराया ।१६४१-164 (१९५) कहि णं मंते सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो वरसिट्टे नामं महाविमाणे पत्रते गोयमा सोहम्मवडेंसयस्स पहाविमाणस्स दाहिणे णं सोहम्मे कप्पे असंखेजइ जो. यणसहस्साई वीईवइत्ता एत्थ णं सकस्स देविंदस्स देवरण्मी जमस्स महारण्णो वरसिटे नामं महाविमाणे पत्रते-अद्धतेरसजोयणसयसहस्साई-जहा सोमस्स विमाणं तहा जाय अभिसेओ रायहाणी तहेव जाव पाप्सायपंतीओ सकस्स णं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारपणो इमे देवा आणाउववाय वयण-निद्देसे चिट्ठति तं जहा-जमकाइया इ वा जमदेवयकाइया इ वा पेतकाइया इथा पेतदेवयकाइया इ वा असुरकुपारा असुरकुरुमारीओ केदप्पा निरयपाला अभियोगाजे यावण्णे तहप्पगारा सब्वे ते तब्मतिगा तप्पक्खिया तब्भारिया सककस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारपणो आणा-उववाय-वयण-निद्देसे चिट्ठति जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाई इमाई समुप्पज्रति तं जहा-डिंबाइवा डमरा इ वा कलहाइवा बोलाइवा खाराइ वा पहाजुद्धा इ वा महासंगामा इ वा महासत्थनिवडणा इ वा महापुरिसनिवडणा इ वा महारुहिरनिवडणाइवा दुब्लया इवा कुलरोगा इवा गामरोगा इवा मंडलरोगाइ वा नगररोगा इवा सीसवेयणा इ वा अच्छिवेयणा इ वा कण्णवेयणा इ वा नहवेयणा इ वा दंतवेयणा इ वा इंदागहा इ या खंदग्गहा इ वा कुमारग्गहा इ वा जक्खग्गहा इ वा भूयग्गहा इ वा एगाहिया इ वा बेहिया इ वा तेहियाइवा चाउत्थयाइवा उब्वे-यगाइवा कासा इवा सासाइवा सोसाइवाजराइ वा दाहाइवा कच्छकोहाइवा अजीरगाइ वा पंडुरोगा इ वा अरिसा इ वा मगंदला इ वा हिययसूला इ वा मत्थयसूला इ वा जोणिसूला इ वा पाससूला इ बा कुच्छिसूलाइ वा माममारी इ वा मउंचमारी इवा पट्टणमारी इ वा आसममारी इ वा संवाहमारी इ वा सण्णिवेसमारी इवा पाणक्खया जणखया धणक्खया कुलक्खया वसणब्यूया पणारिया जे यावण्णे तहप्पगारा न ते सक्कस्स देविंदस्स देवरपणो जमस्स महारण्णो अण्णाया अदिट्ठा असुराया अमुया अविण्णाया तेसिं वा जपकाइयाणं देवाणं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारपणो इमे देदा अहावचा अभिण्णाया होत्था तं जहा ।१६५-१1 -185-1 (१९६) अंबे अंबरिसे चेव सामे सबले ति यावरे रुद्दोवरुद्दे काले य महाकाले ति यावरे ||२७||-27 (१९७) असिपत्ते धणू कुंभे वासुए वेतरणी ति य खरस्सरे महाधोसे एते पत्ररसाहिया २८11-28 (१९८) सक्कस्स णं देविंदस्स देवरपणो जमस्स महारपणो सतिभागं पलिअंठिई पत्रता अहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एगं पलिओवमं ठिई पत्रत्ता एमहिड्डीए जाव महाणुभागे जमे महाराया ।१६५/-186 (१९९) कहि णं भंते सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारपणो सयंजले नामं महाविमाणे पत्रत्ते गोयपा तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स पच्चस्थिमे णं जहा सोमस्स तहा विमाण-रायधाणीओ भाणियव्या जाव पासादवडेंसया नदरं-नामं नाणत्तं सक्कस्स णं For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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