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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तहयं सतं - उदेसो-७ देविंदस्स देवरणो वरुणस्स महारण्णो इसे देवा आणाउववाय वयण-निद्देसे चिट्ठति तं जहावरुणकाइया इ वा वरुणदेवयकाइया इ वा नागकुमारा नागकुमारीओ उदहिकुमारा उदहिकुमारीओ थणियकुमारा थणियकुमारीओ-जे यावण्णे तहप्पगारा सव्ये ते तब्बतिया [तप्पक्खिया तब्मारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरणो वरुणस्स महारण्णो आणा-उववाय-ययण-निद्देसे] चिटुंति जंबुद्दीवे दीदे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाइ इमाई समुप्पचंति तं जहा-अइवासा इ वा मंदवासा इवा सुट्ठी इ वा दुवुट्टी इवा उदव्येदा इ वा उदपीला इ वा ओवाहा इ वा पवाहाइवा गापवाहा इ वा जाव सण्णिवेसवाहा इवा पाणखया जणखया धणक्खया कुलक्खया बसणमूया मणारिया जेयावण्णे तहप्पगारा न ते सकस्स देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो अण्णाया अदिट्ठा असुरया अमुया अविष्णाया तेसिं वा वरुणकाइयाणं देवाणं सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो इमे देवा अहावद्याभिण्णाया होत्था तं जहा- कक्कोडए कद्दमए अंजणे संखवालए पुंडे पलासे मोह जए दहिमुहे अयंपुले कायरिए सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो देसूणाई दो पलिओवमाई ठिई पत्रत्ता अहावच्चाभिण्णायणं देवाणं एगं पलिओवमं ठिई पन्नत्ता एमहिड्डीए जाव पहाणुमागे वरुणे महाराया ।१६६।-166 (२००) कहि णं भंते सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो वग्गू नाम महाविमाणे पत्रत्ते गोथमा तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरे णं जहा सोपस्स विमाण-रायहाणि-वत्तव्यया तहा नेयव्वा जाव पासादवडेंसया सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो इसे देवा आणा-उववाय-वयण-निद्देसं चिट्ठति तं जहा-वेसमणकाइया इ वा वेसमणदेवयकाइया इ वा सुवण्णकुमारा सुवण्णकुमारीओ दीवकुमारा दीवकु. मारीओ दिसाकुमारा दिसाकुमारीओ वाणमंतरा वाणमंतरीओ-जे यावण्णे तहपगारा सव्वे ते तभत्तिया तिप्पक्खिया तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसपणस्स महारण्णो आणाउववाय-वयण-निद्देसे ] चिट्ठति जंबुद्दीवे दीये मंदरस्स पव्ययस्स दाहिणे णं जाई इसाई समुष्पअंति तं जहा अयागरा इ वा तउयागरा इ वा तंबागरा इ वा सीसागरा इ वा हिरण्णगरा इ वा सुवण्णागरा इ वा रयणागरा इ वा वइरागरा इ वा वसुहारा इ वा हिरण्णवासा इ वा दासा इ वा रयणवासा इ वा वावासा इ वा आमरणवासा इ वा पतवासा इ वा पुप्फवासा इ वा फलवासा इ वा वीयवासा इ वा मल्लवासा इ वा वण्णवासा इ वा वुण्णवासा इ वा गंधवासा इ वा यत्थवासा इ वा हिरण्णवुट्टी इवा सुवणबुट्ठी इ वा रयणवुट्ठी इ वा वइरयुट्टी इ वा आभरणबुट्ठी इ वा पत्तबुट्टी इ या पुप्फबुट्ठी इ वा फलवुढी इ वा बीयबुट्ठी इ वा मल्लवुट्ठी इ वा वण्णवुट्टी इ वा चुण्णवुट्ठी इ वा गंधचट्ठी इ वा वत्थवुट्ठी इ वा भायणवुट्टी इ वा खीरवुट्ठी इ वा सुकाला इ वा तुक्काला इ वा अप्पग्धा इ वा महग्धा वा सुभिक्खा इ वा दुभिक्खा इ वा कयविक्कया इ वा सण्णिही इवा सण्णिचया इ वा निही इ वा निहाणाइ वा-चिरपोराणाइ वा पहीणसामियाइ वा पहीणसेतुयाइ वा पहीणपग्गाइ वा पहीणगोत्तागाराइ वा उच्छपणसामियाइ वा उच्छणसेतुयाइ वा उच्छण्णमग्गा इ वा उच्छणगोत्तागारा इ वा सिंधाडग-तिग-चउक्कचच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु वा नगरनिद्धमणेस वा ससाण-गिरि-कंदर-संति-सेलोवट्ठाण-भवणगिहेस संनिक्खित्ताई चिट्ठति न ताई सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमण्णस्स महारण्णो अण्णायाइं अदिहाई असु- याई अपुयाई अविण्णयाई तेसिं वा वेसमणकाइयाणं देवाणं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो येसम For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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