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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तइयं सतं - उद्देसो-७ ८३ -: स त यो-उहे सो :(१९४) रायगिहे नगरे जाव पञ्जुवासमाणे एवं वयासी-सक्कस्स णं भंते देविंदस्स देवरण्णो कति लोगपाला पत्रत्ता गोयमा चत्तारि लोगपाला पन्नता तं जहा-सोमे जमे वरुणे वेसमणे एएसि णं भंते चउण्हं लोगपालाणं कति विमाणा पत्रत्ता गोयमा चत्तारि विमाणा पन्नत्ता तं जहासंझप्पभे वरसिट्टे सयंजले वग्गू कहि णं भंते सककस्स देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारण्णो संझप्पभे नामं महाविमाणे पत्ते गोयमा जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स दाहिणे णं इमीसे रयणपभाए पुढीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिमागाओ उड्ढं-सूरिय-गहगण-नक्खत तारालवणं बहूई जोयणाई जाव पंच वडेंसया पत्नत्ता तं जहा-असोगवडेंसए सत्तवण्णवडेंसए चंपयवडेंसए चूयवडेंसए मज्झे सोहम्मक्डेंसए तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरथिमे णं सोहम्मे कप्पे असंखेजाई जोयणाई वीइवइता एत्य णं सककस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स णहारण्णो संझप्पभे नामं महाविमाणे पत्रत्ते-अद्धतेरसजोयणसयसहस्साई आयाम-विक्खंभेणं उयालीसं जोयणसयसहस्साई चावत्रं च सहस्साइं अट्ठ य अडयाले जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पत्रतेजा सूरिया भविमाणस्स बत्तव्वया सा अपरिसेसा भाणियव्वा जाव अभिसेओ नवर-सोमो देवो संझप्पभस्स णं महाविमाणस्स अहे सपक्खि सपडिदिसिं असंखेनाई जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देवरपणो सोमस्स महारण्णो सोमा नाम रायहाणी पन्नत्ता-एगं जोयणसयसहस्सं आयाम-विक्खंभेणं जंबुद्दीवप्पमाणा वेमाणियाणं पमाणस्स अद्धं नेयव्यं जाव ओवारियलेणं सोलस जोयणसहस्साई आयाम-विक्खंभेणं पन्नासं जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउए जोयणसते किंचि विसेसूणे परिक्खेयेणं पन्नत्तं पासायाणं चत्तारिपरिवाडीओ नेयव्वाओ सेसा नत्यि, सकस्स णं देविंदस्स देदरण्णो सोमस्स महारणो इमे देवा आणा-उववायवयण-निद्देसे चिट्ठति तं जहा-सोमकाइया इ वा सोमदेवयकाइया इ वा विजुकुमारा विज्जुकुमारीओ अग्गिकुमारा अग्गिकुमारीओ वायुकुमारा वायुकुमारीओ चंदा सूरा गहा नक्खत्ता तारारूवा-जे यावण्णे तहप्पगारा सब्वे ते त्तभत्तिया तप्पखिया तब्मारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरपणो सोमस्स महारण्णो आणा-उववाय-वयण-निद्देसे चिट्ठति । __जंबद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाई इमाई समुप्पङति तं जहा-गहदंडा इ वा गहाबसव्या इ वा अव्या इया अब्भरुक्खा इ वा संझाइ वा गंधवनगरा इ वा उक्कापाया इ वा दिसिदाहा इ या गजिया इवा विजय इ वा पंसुबुट्ठी इ वा जूवेइ वा जक्खालित्तए त्ति वा धूमिया इ या महिया इ या पंसुयुट्टी त्ति वा चंदोवरागाइ वा सूरोवरागा इवा चंदपरिवेसाइ या सूरपरिवेसाइ या पडिवंदा इ या पडिसूरा इ वा इदघणू इ वा उदगमच्छा इ वा कपिहसिया इ वा अमोहा इ वा पाईणवाया इ वा पईणवाया इ वा [दाहिर्णवाया इ वा उदीणवाया इ वा उड्ढावाया इ वा अहोवाया इ या तिरियवाया इ वा विदिसीवाया इ वा वाउमामा इवा वाउकलिया इ वा वायमंडलिया इ वा उक्कलियावाया इ या पंडलियावाया इ वा गुंजावाया इ वा झंझावाया इ वा संवढयवाया इ वा गामदाहा इ वा जाव सण्णिवेसदाहा इ वा पाणक्खया जणक्खया धणक्खया कुलक्खया वसणभूया मणारिया-जे यावष्णे तहप्पगारा न ते सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सोपस्स महारण्णो अण्णाया अदिट्ठा असुया अमुया अविण्णाया तेसिं वा सोमकाइयाणं देवाणं सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारष्णो इमे देवा अहावच्चा अभिण्णाया होत्या तं For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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