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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ३७६ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भगवई - १९/-/४/०६५ -: च ज त्यो उ हे सो : (७६५) सिय भंते नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा गोयमा नो इट्टे समद्वे सिय मते नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा अप्यनिज्जरा हंता सिया, सिय भंते नेरइया महासवा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा गोयमा नो इणट्टे समझे सिय भंते नेरइया महासवा महाकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिञ्जरा गोयमा नो इणट्ठे समट्टे सिय भंते नेरइया महासवा अपकिरिया महावेयणा महानिजरा गोयमा नो इणट्टे समट्टे सिय मंते नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा अप्पनिचरा गोयमा नो इाडे समठ्ठे सिय भंते नेरइया महासवा अप्पकिरिया अप्पवेवणा महानरानो इट्टे समझे सिय भंते नेरइया महासवा अप्यकिरिया अप्पवेयणा महानिजरा नो इण समडे सिय भंते नेरइया अप्पासथा महाकिरिया महादेयणा महानिजरा नो इणट्ठे सपट्टे सिय भंते नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेयणा अप्पनिजरा नो इणट्ठे समझे सिय भंते नेरइया अप्पासचा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिचरा नो इणट्ठे समद्वे सिय भंते नेरइया अप्पासवा महाकिरिया अप्पवेवणा अप्पनिजरा नो इणट्ठे सभड़े सिय भत्ते नेरइया अप्पासना अप्पकिरिया महावेयर अप्पनिज्जरा नो इण सपठ्ठे सिय भंते नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया अम्पवेयणा महानिजरानो इण समट्ठे सिय भंते नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा नो इण समट्ठे एते सोलस भंगा सिय भंते असुरकुमारा महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिजरा नो इट्टे समठ्ठे एवं चउत्यो भंगो माणियव्यों सेसा पत्ररस भंगा खोडेयव्वा एवं जाव धणियकुमारा सिय भंते पुढविक्काइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा हंता सिया एवं जाव- सिय भंते पुढविक्किाइया अप्पासवा अप्पकिरिया अप्पवेक्ष्णा अप्पनिज्जरा हंता सिया एवं जाव मणुस्सा वाणमंतर - जोयसिय- बेमाणिया जहा असुरकुमारा सेवं भंते सेवं भंते त्ति । ६५५।-654 • एगुणवीसइमे सते चउत्को उद्देसो समतो -: पंच मो- हे सो : (७६६) अस्थि णं मंते चरमा वि नेरड्या परमा वि नेरइया हंता अस्थि से नूणं भंते चरमेहिंतो नेरइएहिंती परमा नेरइया महाकम्मतरा चेय महाकिरियतरा चंद महस्सवतरा चैव महादेयणतरा चेव परमेहिंतो वा नेरइएहिंतां चरमा नेरइया अप्पकम्मतरा चैव अप्पकिरिया चैव अप्पस्सवतरा चेव अप्पवेक्ष्णतरा चैव हंता गोयमा चरमेहिंती नेरइएहिंतो परमा जाव महावेयणतरा चेव परमेहिंतो वा नेरइएर्हितो चरमा नेरइया जाव अम्पवेयणतरा चैव से केणद्वेणं भंते एवं बुच्चइ जाव अपवेयणराव गोयमा ठिति पडु से तेणद्वेणं गोयमा एवं बुधइ जाव अप्पवेयणतरा चैव अस्थि णं मंते चरमा वि असुरकुमारा परमा वि असुरकुमारा एवं चैव नवरं विवरीयं भाणियच्वं परमा अष्मकम्मा चरमा महाकम्मा सेसं तं चेव जाव यणियकुमारा ताव एमेव पुढविकाइए जाव मस्सा एते जहा नेरइया चागमंतर - जोइसिय-वेपाणिया जहा असुरकुमारा । ६५६। 655 (७६७) कतिविहा णं भंते वेदणा पन्नत्ता गोयमा दुविहा वेदणा पत्रत्ता तं जहा- निदा य अनिदा य नेरइयाणं भंते किं निदायं वेदणं वेदेति अनिदायं वेदणं वेदेति गोयमा निदायं पि वेदणं वेदंति अनिदायं पि वेदणं वेदेति जहा पन्नवणाए जाव वेमाणियत्ति सेवं भंते सेवं भंते त्ति १६५७1-656 • एगुणवीसइमे सते पंचमो उद्देसो सफ्तो For Private And Personal Use Only
SR No.009731
Book TitleAgam 05 Vivahapannatti Angsutt 05 Moolam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherAgam Shrut Prakashan
Publication Year1996
Total Pages514
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 05, & agam_bhagwati
File Size10 MB
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